देवों के भी देव हैं कालों के भी काल हैं,
भस्म रमाते मेरे महाकाल हैंगले में है मुंड- माल जटाओं में गंगा,
शिव से ही गौरा के श्रृंगार हैंधरणी भी थर- थर करती है डर से,
नृत्य जब करतें मेरे महाकाल हैंअग्नि के ज्वाला शिव हिम के भी कण हैं
शिव में रमा ये सारा संसार हैरति के पति को भस्म किया जिसने
वही तो देवाधिदेव मेरे महाकाल हैंरूप कुरूप है रूप है सुंदर
शिव ने ही तो रचा संसार हैरत्नों के भी खान हैं शिव जी
भूत भविष्य वर्तमान हैं शिव जीGouri tiwari bhagalpur bihar