एक घर हो प्यारा सा, घर मेरा सपनो का घर हो
उसमे एक सुन्दर सा, मेरी मां का मंदिर हो!
उसमे रहे मेरी मैया,हर पल उस घर मे विराजे,
पूजा करूं आरती उतारूं,घंटा ध्वनि हर पल बाजे!
करूं एक करूण पुकार मां से अपनी,मेरा ऐसा घर हो!
घबरा जाऊं जब किसी मुश्किल से,आंचल मे वो छुपा ले,
मै रख दूं सर गोद मे उसकी, और वो मुझको सुला दे!
जोत जलती रहे सदा उस घर मे नाम की तेरी,ऐसा मेरा घर हो!
तेरे बिना ना मै कुछ भी मैया,कृपा अपनी बरसा दे,
मै हूं भिखारी तेरे दर की,भक्ति मुझे दिला दे!
आंखे बंद करूं तो तू ही तू हो, खोलूं तो तू हो,मां मुझे एक ऐसा सपनो का घर दिला दे!
श्वेता अरोडा