रिश्तों की रेशमी डोर इक ऐसा रोचक फलसफा है,
जिसको सम्हाले रखना हर वक्त इक नया तजुर्बा है।
1•रिश्तों की डोर बहुत नाज़ुक होती है,
ज़रा-सी असावधानी से बहक जाती है,
रिश्तों की डोर बहुत मज़बूत भी होती है,
एक पल की सावधानी से चहक जाती है।
2•मुसीबत में काम आएं जो, वो रिश्ते सच्चे होते हैं,
जो देखें तोल कर रिश्ते, अक्ल के कच्चे होते हैं,
जो पैसे पास हों अपने, तो रिश्ते खास हो जाएं,
प्रेम की बात मत पूछो, ये धागे कच्चे होते हैं।
3•रिश्तों कि ही दुनिया में अक्सर ऐसा होता हैं,
दिल से इन्हें निभाने वाला ही रोता हैं,
झुकना परे तो झुक जाना अपनो के लिए,
क्योंकि हर रिश्ता एक नाजुक समझोता होता हैं।
4•रिश्तों की डोर बहुत कमजोर होती है,
ज़रा-सी असावधानी से तोड़ मरोड़ जाती है,
रिश्तों की डोर बहुत मज़बूत भी होती है,
एक पल की सावधानी से चहक जाती है।
मुस्कराहट का कोई मोल नहीं होता,
कुछ रिश्तो का कोई तोल नहीं होता,
वैसे लोग तो मिल जाते है हर मोड़ पर,
पर कोई आप की तरह अनमोल नहीं होता।
5•दिल से बने जो रिश्ते उनका नाम नही होता,
इनका कभी भी बर्बाद अंजाम नही होता।
अगर निभाने का जज्बा दोनों तरफ से हो,
तो कभी कोई पवित्र रिश्ता कभी बदनाम नही होता।
रचयिता- सुषमा श्रीवास्तव, मौलिक कृति,सर्वाधिकार सुरक्षित, रुद्रपुर, उत्तराखंड।