हे मेरे यार जब तू , जायेगा दूर मुझसे।
यह तस्वीर तुमको, याद बहुत आयेगी।।
देखेगा जब भी तू , शहर कोई नया।
यह नजीर तुमको, याद बहुत आयेगी।।
हे मेरे यार जब तू ————————।।
यह जमीं, यह चमन तू ,मायूस करके अपना।
अपने अजीजों की आँखों के, तोड़कै सपना।।
जायेगा जब तू , छोड़कर यह घर अपना।
यह जन्नत तुमको, याद बहुत आयेगी।।
हे मेरे यार जब तू ————————।।
चिराग उस दिल का तू , बुझाकर चलता है अब।
मिटाकर उनके अरमान, उनको रुलाता है अब।।
मिलेगी तुमको आहे , इन बूढ़े माता-पिता की।
दुहायें इनकी तुमको, याद बहुत आयेगी।।
हे मेरे यार जब तू ————————।।
इनसे क्या भूल हुई है, जो तू है रुसवां इनसे।
ऐसा क्या देखा है तुमने, मोहब्बत में हुर्र से।।
पुकारेगा जब मदद को, तू अपनी महबूबा को।
पनाह अपनों की तुमको, याद बहुत आयेगी।।
हे मेरे यार जब तू ————————-।।
साहित्यकार एवं शिक्षक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)