भाभी कहाँ हो आप…. भाभी…। अरे कहाँ चलीं गई…। 
आई भईया…. क्या हुआ.. आज आप इतनी जल्दी … सब ठीक तो हैं..! 
अरे भाभी आप भी ना… कबसे आवाज लगा रहा हूँ…। 
वो मैं…. मैं… 
अरे अभी वो सब छोड़ो… इधर आओ जल्दी..। 
भाभी ये देखो कैसी हैं…! (एक पोलीबैग से शर्ट निकालकर दिखाते हुए) 
वाह….. बहुत प्यारी हैं भईया ….। आप पर बहुत जंचेगी…। 
लो कर दी ना खोटी बात…अरे ये मैं भाई के लिए लाया हूँ…। 
इनके लिए…!! 
हाँ भाभी… अच्छा चलो अभी जल्दी से अपनी आंखें बंद करो..। 
क्या हुआ….!! 
आप करो तो सही….। 
लो बाबा कर दी…। 
अब हाथ आगे बढ़ाओ…। 
हम्म्… ये लो..। 
अब आंखे खोलो और बताओ ये कैसी हैं…। (हाथों में एक नीले रंग की ड्रेस रखते हुए) 
वाओ…. सुपरब… बहुत खूबसूरत हैं ये…। 
आपको पसंद आई ना भाभी… आपका फेवरेट कलर हैं ना….। 
हाँ भईया…..। लेकिन यह तो बताओ आज ये सब किस लिए..! 
भाभी ….भूल गए ना…अरे…..मुझे आज पहली तनख्वाह मिली हैं…। 
अरे हाँ…. मैं तो भूल ही गई थीं….। सॉरी…. (कान पकड़ते हुए) 
अच्छा अब ये बताओ आप खुद के लिए क्या लाए हो…? 
मेरे लिए अगली तनख्वाह से लाऊंगा भाभी…। अभी दोस्तों को पार्टी भी तो देनी हैं…। 
व्हाट… ये क्या बात हुई भईया…..। 
अरे भाभी… मैं तो आए दिन कुछ ना कुछ लेता ही रहता हूँ…। ना आप कभी खुद के लिए कुछ लेते हैं… ना भाई…। इसलिए इस बार सिर्फ आपके लिए…। 
एक बात कहूँ भईया….. मैं जब इस घर में आई थीं ना तो बहुत अकेला अकेला महसूस करतीं थीं…। आपके भाई तो बिल्कुल बात ही नहीं करते थे…। घर में कोई बड़ा भी नहीं था..। आप तब बहुत छोटे थे…। लेकिन आज…. आज बहुत कुछ बदल चुका हैं भईया….। 
भाभी…. मेरे लिए तो आप ही मेरा सब कुछ हो…। मम्मी पापा की तो मुझे शक्ल भी याद नहीं…। भाई सिर्फ काम और काम….। लेकिन आपने जिस तरह से मुझे संभाला… समझाया… इस लायक बनाया…। मेरे लिए मेरी माँ… मेरे पापा… सब कुछ आप ही हो…। आइ लव यू भाभी ….। (गले से लगाते हुए) 
उसी वक्त पड़ौस की निर्मला आंटी :- बाप रे बाप…. ये क्या देख लिया मैने…। हाय राम….अरे कुछ तो शर्म लिहाज रख लिया करो… ये सब गुल खिलाने हैं तो भीतर कमरे में जाकर मुंह काला करो… यहाँ खुले में करने की क्या जरूरत हैं…। 
आंटी….. सोच समझकर बोलिये…! 
वाह बेटा…. तुम अपनी भाभी के साथ #### करो…. और मैं… 
खबरदार आंटी एक लब्ज़ ओर कहा तो…। (गुस्से से) 
सोनिया :- ताई प्लीज….आपको कुछ गलतफहमी हो गई हैं वो चंद्र को आज पहली तनख्वाह मिली हैं ना तो वो बस कुछ तोहफे लाया था…. तो….. 
रहने दे… रहने दे… ये सफाई अपने पति को देना मुझे नहीं….। मैं कोई छोटी बच्ची नहीं हूँ… सब समझतीं हूँ…. आइ लव यू का मतलब क्या होता हैं…। 
चंद्र :- आइ लव यू…. मैं आपसे प्यार करता हूँ…। ये मतलब होता हैं ना आंटी…। हाँ करता हूँ मैं अपनी भाभी से प्यार…। कुछ गलत हैं क्या…। क्यूँ क्या आप अपनी माँ को… अपने बच्चों को… अपने पति को सबकों एक जैसा ही प्यार करते हो क्या…। सब के लिए सिर्फ वो ही वाला प्यार होता हैं क्या…। आपकी सोच में ही गंदगी हैं आंटी..। भाभी माँ हैं मेरी…. मेरे पापा हैं…. मेरी दोस्त है…. मेरी हमराज़ है…. मेरी सबकुछ हैं….। 
सोनिया :- चंद्र…. तू शांत रह… भीतर जा… हाथ मुंह धो ले…. मैं तेरा खाना लगा लेतीं हूँ..। 
चंद्र पैर पटकते हुए भीतर चला गया..। 
निर्मला भी भौहें सिकुड़ते हुए वापस चलीं गई.. । 
सोनिया मन ही मन सोचते हुए…… हद हैं इन लोगों की सोच पर…. इन जैसे लोगो की वजह से ही देवर भाभी का रिश्ता आज शक़ की नजरों से देखा जाता हैं… वरना देवर भाभी का रिश्ता तो दुनिया में सबसे प्यारा और सबसे पाक रिश्ता होता हैं….। बस कोई समझें…। 
सोनिया सोचते हुए भीतर गई तो देखा चंद्र अपने कमरे में उदास सा खिड़की पर खड़ा था…। 
क्या हुआ देवर जी… आंटी की बातों को इतना दिल पर ले लिया क्या…। 
चंद्र :- भाभी…. ये लोग इतना गंदा कैसे सोच लेते हैं..। 
सोनिया उसके पास गई और मुस्कुराते हुए बोलीं :- जिसको जो सोचना हैं सोचने दो भईया…. वो कहते हैं ना…. कुछ तो लोग कहेंगे… लोगों का काम हैं कहना…। सच तो ये है की आइ लव यू टू माय डेसिंग…. स्टाइलिश… हैंडसम देवर जी…। चलो अभी अपना मूड ठीक करो और खाना खा लो…. ऐसी शक्ल से खाना खाएंगे तो स्वादिष्ट खाना भी बेस्वाद ही लगेगा…। 
चंद्र मुस्कुराता हुआ अपनी भाभी के साथ चल दिया…। 
सच ही हैं कुछ रिश्ते पवित्रता के बंधन से बंधे होते हैं… जैसे भाई बहन का रिश्ता होता हैं… वैसे ही देवर भाभी का रिश्ता होता है…। ऐसे रिश्तों को किसी प्रमाण की जरूरत नहीं होतीं… ये रिश्ते दिल से जूड़े होतें हैं…।
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