मीरा सा प्रेम नही मेरा शबरी सी प्रतीक्षा हैं।नाचता नही मंदिरों में बस बाट जोहता हैं।मेरा विष का प्यालाअमृत तो नहीं होगालेकिन भक्ति का मेरीएक दिन असर जरूर होगा। गरिमा राकेश ‘गर्विता’Spread the love Post navigation आत्महत्या किसी भी दर्द की दवा नहींमैं मां बनना चाहती हूं, जज साहब