एक उम्मीद है!
कुछ अच्छा होने की,
अपने जीवन में
कठिनाइयों से जूझते इंसान के लिए,
एक विश्वास है!
शांति, प्रेम और भाईचारे से
जीवन बिताने की सोच रखने वाले
इंसान के लिए,
एक भ्रम है!
लगातार शारीरिक – मानसिक कष्टों
एवं यातनाएं सहते 
और क्रूरतापूर्ण हत्याओं
एवं बलात्कार का शिकार बनते
इंसान के लिए,
एक डर है!
स्वभाव से डरपोक लोगों को
बुराई के रास्ते पर जाने से
रोकने के लिए,
एक ठहराव है!
विचारों की कश्मकश में 
उलझे हुए मन को
एकाग्र करने के लिए,
एक सहारा है!
नवीन राहों के अन्वेषण में
अकेले पड़ चुके
इंसान के लिए,
एक हथियार है!
कुछ चालाक एवं धूर्त लोगों के हाथ में
अपनी मनमानी को न्यायसंगत
ठहराने के लिए
और एक बहाना भी है
पीढ़ी दर पीढ़ी मानसिक गुलामी की
एक परंपरा चलाने के लिए,
ईश्वर !
जो भी हो, जैसा भी हो,
वैसा तो बिल्कुल नहीं 
जैसा ज्यादातर दुनिया सोचती है उसे
अपना काम चलाने के लिए।
                                   जितेन्द्र ‘कबीर’
                                   
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम – जितेन्द्र ‘कबीर’
संप्रति – अध्यापक
पता – जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
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