हे मतदाता जानो अपना अधिकार,
अपने विवेक से ही चुनना सरकार,
झांसे में मत आना, लोभ में मत पड़ना,
देना मत उसको, जो सुने तेरी पुकार।
तेरे लिए है लोकतंत्र, करना इसका सम्मान,
सही नेता को चुनकर बढ़ाना भारत की शान,
तुम्हारे ही हाथों में, है भारत का भविष्य,
अब तेरी बारी है, ले भारत को संवार।
उसको ही देना मत, जो देशभक्त सच्चा हो,
जन-जन की पीड़ा सुने, जो वादों का पक्का हो,
चुनाव एक उत्सव है मनाओ सोच-समझकर,
स्वार्थ से परे रहकर, बनो इसका भागीदार।
स्वरचित रचना
रंजना लता
समस्तीपुर, बिहार
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