गर्म हवा के थपेड़ों से जन जीवन हुआ बेहाल।
मार्च माह की ही तपिश से मानव हुआ बेहाल।
इंसा ही नहीं पशु पक्षियों का भी है बुरा हाल।
कैसे जिएं बचें इस बढ़े तापमान से बुरा हाल।
दिनों दिन गर्मी बढ़ती ही जारही है करे बेहाल।
पेड़ पौधे जीव जन्तु हरेक ही तो हो रहे बेहाल।
बाहर निकलने में किसी की ये हिम्मत नहीं पड़े।
धूप है अपने शबाब पे कि कहीं जाना नहीं पड़े।
जाना भी पड़े कहीं अगर तो ये धूप से बचाइये।
गमछा बांध के रहें संग में छोटी प्याज लेजाइये।
ये प्याज लू लगने से जीवन बचाती रही है सदा।
लू का असर शरीर पे न हो खुदी लेती रही सदा।
वर्तमान तापमान 42 डिग्री सेल्सियस चल रहा।
अभी तो ये और बढ़ेगा मौसम विज्ञान कह रहा।
इस प्रचंड धूप से अभी कोई मिलनी न राहत है।
हरेक प्राणी इस गर्म हवा के थपेड़ों से आहत है।
सुबह भले ही अभी थोड़ीबहुत कुछ तो राहत है।
10 बजते-2 ही तो सूर्यदेव के तेज से आहत हो।
हर काम काज अवरुद्ध हो जाता है गर्मी धूप से।
शादी विवाह कटाई मड़ाई प्रभावित गर्मी धूप से।
कहीं के आवागमन में बड़ी परेशानी यह हो रही।
घर से कहीं निकलने की हिम्मत ही नहीं हो रही।
सुबह-शाम में ही कहीं पर आना जाना अच्छा है।
गर्म हवाएं झुलसा न दें बच के रहें यही अच्छा है।
रास्ते में कहीं छांव देख के कुछ रुक भी लीजिए।
गन्ना बेल मुसम्मी आम का कुछ जूस भी पीजिए। 
मिल सके तो ये जल जीरा आम पना भी पीजिए।
भोजन भी छक कर ना करिये ये कम ही लीजिए।
वैज्ञानिक बता रहे हैं अभी ये पारा उछाल मारेगा।
बच कर रहिये भाइयों कितनों की ये जान मारेगा।
किसी दुर्घटना से सावधानी ये भली होती है सदा।
लापरवाही कोई भी हो ये घातक होती ही है सदा।
रचयिता :
डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
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