हम भारतीयों के लिए यह बहुत ही प्रसन्नता की बात है कि हमें अंग्रेजों की गुलामी की दासता से 
मुक्त हुए आज 75 वर्षों का समय व्यतीत हो चुका  है। हमें 15 अगस्त 1947 को आजादी प्राप्त हुई। तब से ही हम एक स्वतंत्र देश के नागरिक के रूप में गोरों से पूर्ण प्राप्त आजादी की ख़ुशी में अपना स्वतंत्रता दिवस पर्व एवं गणतंत्र दिवस हम बड़े ही धूम धाम व वृहद हर्षोल्लास के साथ मनाते हुए चले आ रहे हैं। इस ख़ुशी और उल्लास के पीछे कहीं न कहीं हमारे वतन के रखवालों का बहुत अभीष्ट एवं बड़ा महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 
इस आजादी को पाने के लिए हमारे वतन के रखवाले राष्ट्रभक्तों,देशप्रेमियों और वीर सपूतों तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपनी न जाने कितनी अनगिनत कुर्बानियाँ दी हैं। अंग्रेजों से कड़ी लड़ाई लड़ी और कदम कदम पर उनसे लोहा लिया है। अपने देश के लिए खून बहाया और अपने प्राणों की आहुतियाँ देकर इस देश को स्वतंत्र कराया। हमें ब्रिटिशों से मुक्त कराया है, तब कहीं जाकर हमने आजादी पाया है। हम उन स्वत्रंतता संग्राम सेनानियों और महान वीर क्रांतिकारियों को तथा वतन के रखवालों को तो कभी भुला ही नहीं सकते, जिन्होंने इस देश के वास्ते इस आजादी के लिए छिड़ी बड़ी लड़ाई में  हँसते-हँसते अपने प्राणों को भी न्यौछावर कर दिया। अंग्रेजों की बर्बरता का एक नहीं अनेक बार सामूहिक शिकार हुए। आजादी के लिए ही हमारे वीर क्रांतिकारियों ने 
मेरा रंग दे वासंती चोला,ओ माँ ये रंग दे वासंती चोला” 
गीत गाते हुए फाँसी के फन्दे को भी चूम लिया। ऐसे मतवाले हमारे वतन के रखवाले नहीं तो भला और कौन हो सकते हैं।
हमारे कितने क्रांतिकारी देश भक्त महान वीर सिपाहियों ने जलियाँ वाला बाग और चौरीचौरा जैसे घृणित घटना में अंग्रेजों के गोली काण्ड का सामूहिक शिकार होगये और कितने इस रक्तपात में शहीद होगये। इससे गुस्साए क्रांतिकारियों ने गोरखपुर का चौरी चौरा थाना फूँक दिया,अंग्रेजों द्वारा किये जा रहे इस प्रकार के क्रूर अमानवीय व्यवहार एवं अत्याचार से सारा देश ही प्रभावित और भुक्तभोगी हो रहा था। ऐसे में इन अंग्रेजों के खिलाफ कड़े विद्रोह की शुरुआत हमारे जांबाज क्रांतिकारियों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया और जगह जगह पर आंदोलन और विरोध शुरू होगया। इस जंग के कुछ महानायकों को तो हम सभी अपने जीवन में कभी भी दिल से भुला ही नहीं सकते हैं। राष्ट्रप्रेम और देशभक्ति से भरा रगों में खून ही कोई क्रांति लाने में सफल हो पाता है और सच्चे मायने में वही हमारे वतन का रखवाला भी हो सकता है।
यूँ तो अंग्रेजों की बात,व्यवहार,उनके चरित्र और भारतीयों के प्रति उनके आचरण तथा कृत्य से बहुत पहले से ही रह-रह कर देश में छिट पुट कहीं न कहीं विरोध के स्वर तो उठते ही रहते थे,किन्तु उसे अंग्रेजों द्वारा बल प्रयोग कर दबा दिया जाता था।
गोरों की सरकार में भारतीयों के प्रति सामाजिक और धार्मिक नीतियों के कारण यह विरोध मुखर 
हो गया एवं सन 1858 में यह विरोध भारत के विशाल जन समूह द्वारा भी प्रारम्भ हो गया। मंगल पाण्डेय ने अंग्रेजों के खिलाफ इस क्रांति की एक अलख जगाई। यह मशाल ही तो रानी लक्ष्मीबाई तक एक क्रांतिकारी आंदोलन के रूप में पहुँच गया, वे भी अंग्रेजों के खिलाफ बड़ी ही बहादुरी और वीरता से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त किया। इसका बखान प्रसिद्ध कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपनी कविता ‘झाँसी की रानी’ की पंक्तियों में भी लिखा है 
खूब लड़ी मर्दानी,वह तो झाँसी वाली रानी थी
अंग्रेजों के खिलाफ यह आंदोलन तो लगातार चलता ही रहा किन्तु महात्मा गाँधी जी द्वारा 1942 में शुरू किये गए ‘अंगेजों भारत छोड़ो आंदोलन‘ के साथ ये भारत के कोने-कोने में पहुँच गया और ये धीरे-धीरे अंग्रेजों के खिलाफ कुछ मीर जय चंदो को छोड़ सारा देश एक हो गया,जिसकी परिणिति के रूप में अंत में हमें हमारी स्वतंत्रता के रूप में हमें प्राप्त हुई। आज हम इन्हीं राष्ट्र भक्तों और सच्चे देश प्रेमियों तथा इन्हीं वतन के रखवालों की वजह से ही आजादी के 75वें वर्ष पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाने जा रहें हैं।
आजादी के इन्हीं दीवानों,मतवालों,परवानों और वतन के रखवालों की बदौलत ही प्राप्त आजादी के इस पावन अमृत महोत्सव पर्व के अंतर्गत इस गणतंत्र दिवस पर हम हमारे वतन के रखवालों और शूर वीर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों तथा उन अपने महानायकों का नाम लिए बिना हमारा यह गणतंत्र दिवस सदैव अधूरा रहेगा। इस लिए हम सर्वप्रथम उन सभी वीर क्रांतिकारियों,राष्ट्रप्रेम व देशभक्ति की भाव से भरे उन सभी महानायकों के साथ ही साथ उन हजारों गुमनाम वतन के शहीद रखवाले वीर सपूतों को भी शत शत नमन करते हैं,कोटि कोटि वन्दन करते हैं।
स्वतंत्रता संग्राम के महानायक नेता जी सुभाष चन्द्र बोस,सरदार भगत सिंह,पंडित राम प्रसाद बिस्मिल,राज गुरु सुखदेव,वीर सावरकर,लाला लाज पत राय,बाल गंगा धर तिलक,विपिन चंद्र पाल,चन्द्र शेखर आजाद,सरदार बल्लभ भाई पटेल,पंडित जवाहर लाल नेहरू,लाल बहादुर शास्त्री,नाना साहब,तात्या टोपे,प्रतापगढ़ फोर्ट के राजा प्रताप बहादुर सिंह एवं कालाकांकर रियासत-प्रतापगढ़ के राजा लाल प्रताप सिंह, राजा राम पाल सिंह एवं भदरी स्टेट के राजा बजरंग बहादुर सिंह,राजा उदय प्रताप सिंह(राजा रघुराज प्रताप सिंह के पिता) के साथ ही साथ तरौल के ताल्लुकेदार बाबू गुलाब सिंह इत्यादि स्वतंत्रता संग्राम के अमर वीर सेनानियों और अनेकों राजनेताओं तथा वतन के रखवालों के ही बदौलत आज हमें हमारी यह आजादी नसीब हुई है। आजादी का ये 75वें वर्ष का गणतंत्र दिवस है जिसको अमृत महोत्सव के रूप में देश भर में अनेकों कार्यक्रम पूरे वर्ष हम मनाते चले आरहे हैं। हम राष्ट्रप्रेम और देशभक्ति से ओत प्रोत हैं और गर्व से भरे हुए हैं।
आज दुनिया के सब से बड़े लोकतंत्र भारत जैसे विशाल साम्राज्य वाले गणतंत्र/देश के हम एक जिम्मेदार आजाद नागरिक हैं। हमारा यह भारत विभिन्न जाति,धर्म,संप्रदाय,लोक मत,बोली एवं भाषा,संस्कृति,सभ्यता,संस्कार और ज्ञान से ओत-प्रोत एवं सुन्दर प्राकृतिक आकर्षक सौंदर्यो से भरा हुआ हमारा यह देश है। हमारी हिन्दू सनातन संस्कृति,त्यौहार,रहनसहन,दया,करुणा,
खान-पान,भारतीय वस्त्र,पहनावा इत्यादि की पूरी दुनिया में सराहना होती है। भारत सर्वधर्म सम भाव एवं गंगा जमुनी संस्कृति,प्रेम और भाई-चारे वाला एक महान विशाल देश है। हमारे प्राचीन परंपराओं,ऋषियों,मुनियों के सिद्धि ज्ञान शक्ति,हमारे महापुरुषों महावीर,बुद्ध,गुरुनानक,
रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद जी जैसे योद्धा युवा सन्यासी की यह पावन पवित्र धरा परम पूजनीय,वंदनीय और अभिनंदनीय है। 
राष्ट्रप्रेम और देशभक्ति से भरे अपने महान देश भारत को हम माता कहते हैं,और हम सब भारतीय नागरिक माँ भारती के ही वरद पुत्र हैं। 
भारत से ज्ञान,संस्कृति,सभ्यता को सीखने बहुत से देशों से आज भी नागरिक यहाँ धर्म,संस्कृति,
आचरण,हिन्दी व ब्रज की मीठी बोली सीखने को आते रहते हैं। आइये हम सब मिल कर अपने देश भारत की आजादी के अमृत महोत्सव पर अपने वतन के रखवाले,वीर शहीद सपूतों को याद करते हुए आजादी का अमृत महोत्सव मनाएं एवं अपने भूले बिसरे हजारों अमर शहीदों,वीरों,वीरांगनाओं,स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और बलिदानी महान
क्रांतिकारियों को दिल से नमन करें,उन्हें अपने हृदय का श्रद्धा सुमन अर्पित कर कोटि-कोटि उन्हें प्रणाम करें। शत शत वन्दन करें। 
“ऐ मेरे वतन के लोगों,जरा आँख में भर लो पानी।
जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो क़ुरबानी।”

जय हिन्द, जय स्वदेश, जय भारत।
आलेख लेखक :
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
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