अक्सर मुझे भिगो के चली जातीं हैं,
बारिश की बूंदों की तरह तुम्हारी यादें,
हमें भी अच्छा लगता है,
उसमे भीगना,भीग कर खुद को भूल जाना,
तुम एक प्यारा सा बादल हो, हां तुम एक बादल हो,
जो हवा की झोंके से मेरे ज़िंदगी में आए हो,
हर वक्त बारिश बनकर मुझे भिगाते हो,
इतना भिगाते हो की खुद को भूलने को, 
मजबूर कर देते हो,
तुम्हारे साथ ये नशीली रात, धीमी हवा,
ये बारिश की बूंदे बहुत अच्छी लगती हैं,
अच्छी लगती हैं महकती फूलों की खुशबू,
बहते पानी की आवाज़,
अच्छा लगता हैं चांद का शर्माना,
अच्छा लगता हैं मेरी ज़ुल्फों में तुम्हारा हाथ चलाना,
अच्छा लगता है तुम्हारे साथ बारिश में भीगना,
अच्छा लगता है बारिश के साथ तुम्हारी आंखों में खो जाना,
अच्छा लगता है एक अनसुनी धुन में गुनगुनाना,
ये वक्त ढलता जा रहा है,
देखो ना जान, बारिश भी शायद थमने वाली है,
चलो ना थोड़ा और भीग जाते हैं,
एक दूसरे में थोड़ा और खो जाते हैं,
ये बारिश के बूंदे शायद हमें बुला रहे हैं,
जी भर के हमें भिगोना चाहती हैं,
चलो ना थोड़ा और भीग जाते हैं,
इन बूंदों के साथ थोड़ा और यादें समेट लेते हैं,
चलो ना जान, थोड़ा और भीग जाते हैं,
थोड़ा और भीग जाते हैं…..
© ज्योतिजयीता महापात्र
ओडिशा
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