“अरे! चुन्नी- मुन्नी कहाॅं पर हो तुम? गला सूख रहा है, प्यास के कारण बोला भी नहीं जा रहा। क्या तुम्हें ऐसी जगह मिली जहाॅं पर पानी हो?” कहते हुए सोनी चिड़िया ने अपने चारों तरफ नजरें दौड़ाई। 
नजरें अपनी सहेली चुन्नी मुन्नी को ढूंढ रही थी लेकिन शरीर ऐसा लग रहा था जैसे अब गिरा तब गिरा। पंखों में भी जान नहीं बची थी। अपनी पूरी ताकत समेटकर सोनी चिड़िया कहीं आराम करने की जगह ढूंढने लगी। 
“कहाॅं पर कुछ देर बैठकर आराम करूं  कहीं पर भी तो छायादार पेड़ दिख ही नहीं रहा है? चारों तरफ वीरान खेत तो दिख रहें हैं लेकिन एक पेड़- पौधा तक नजर नहीं आ रहा। हमारे घरों को तो नष्ट कर दिया ही गया हैं जैसे – तैसे जीवनयापन कर रहे हैं। आज तो जल की तलाश में हम तीन सहेलियां भी बिछड़ गई है। ना जाने चुन्नी- मुन्नी कहाॅं पर भटक रही होंगी।” चिलचिलाती धूप में खेत के किनारे इधर – उधर फुदकती गर्मी और प्यास से बेहाल सोनी चिड़िया अपने आप में ही बातें किए जा रही थी तभी उसके सामने एक चिड़िया अपने पंखों को हल्के से  फड़फड़ाते हुए गिरी। 
“चुन्नी! तुम्हें क्या हुआ? कुछ तो बोलों।” सोनी चिड़िया ने  अपने सामने गिर पड़ी सहेली को अपनी चोंच से उठाते हुए कहा। 
“जल …जल … ।” लड़खड़ाते शब्दों में चुन्नी चिड़िया ने कहा।
“कहाॅं से लाऊं? इतनी देर से जल की तलाश ही तो कर रही थी। कहीं भी जल नहीं मिला। मुझे उम्मीद थी कि  तुम दोनों में से किसी को जल मिलेगा तो  कम से कम आज हमारी प्यास बुझ जाएगी लेकिन लगता है हमें जल नहीं मिलेगा।”  सोनी चिड़िया ने रोते हुए कहा।
सोनी चिड़िया गर्मी और प्यास से बेहाल अपनी सहेली चुन्नी चिड़िया को संभालने की कोशिश कर ही रही थी कि तभी मुन्नी चिड़िया की आवाज सुनकर उसने आसमान की तरफ देखा।चिलचिलाती धूप में उसे कुछ भी नजर नहीं आया। वह सोच ही रही थी कि मुन्नी चिड़िया की आवाज किधर से आई तभी धडाम से उससे कुछ दूरी पर कुछ गिरा। मुन्नी चिड़िया के कराहने की आवाज से सोनी चिड़िया समझ गई कि जल के बिना लौटी उसकी सहेलियों का हाल भी जल ना मिलने के कारण ही ऐसा हो रहा है। चुन्नी चिड़िया को गोद में लिए वह जमीन पर खिसकने का प्रयास करने लगी हालांकि वह स्वयं प्यास से तड़प रही थी लेकिन अपनी दोनों सहेलियों का हाल देखकर उसकी आंखों से आंसू रुक नहीं रहे थे। किसी तरह वह चुन्नी चिड़िया के पास पहुंची और उसे भी अपनी गोद में लेने की कोशिश की। स्वामी दोनों सहेलियों से बात करना चाहती थी लेकिन अब दोनों सहेलियां उसकी  निढा़ल हो चुकी थी।दोनों में से कोई भी कुछ बोल ही नहीं रहा था। सोनी चिड़िया को आभास हो गया कि उसे अकेला छोड़कर उसकी  दोनों सहेलियों ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। 
“तुम ऐसे मुझे अकेला छोड़कर नहीं जा सकती,बिल्कुल भी नहीं जा सकती।” सोनी चिड़िया लगातार बोलती ही जा रही थी। 
“माॅं …. माॅं… हम तो यहीं पर है फिर आप किसे छोड़कर जाने की बात कर रही थी, कौन आपको छोड़ कर चला गया?” सोनी चिड़िया के बच्चों में से एक बच्चें ने अपनी माॅं को जगाते हुए कहा। 
सोनी चिड़िया ने अपनी आंखें खोली। अपने सामने बच्चों को देखकर उसे तसल्ली हुई और उसने अपने बच्चों से अपनी दोनों सहेलियां चुन्नी – मुन्नी चिड़िया के बारे में पूछा। बच्चे कुछ बोल पाते उससे पहले ही चुन्नी – मुन्नी के  चहचहाने की आवाज सुनकर सोनी चिड़िया अपने घोंसले से बाहर आई। अपनी दोनों सहेलियों को छत की मुंडेर पर बैठे देखकर उसकी आंखों में आंसू आ गए। शायद! दोनों सहेलियों में से किसी ने उसकी हालत जान ली और दोनों ही उड़कर आई और उसके पास आकर बैठ गई। 
सोनी चिड़िया की आंखों में आंसू होने का कारण पूछने पर सोनी चिड़िया ने अपने स्वप्न वाली बात अपनी  दोनों सहेलियों  को बता दी और साथ ही यह भी कहा कि कल ही एक इंसान से सुना था। अपने साथी से वह कह रहा था कि आधुनिक दिखने और दिखाने के लिए हम प्रकृति के साथ गलत कर रहें हैं। देख रहें हो ना हमने  अपने स्वार्थ के लिए  हरे – भरें पेड़ों को काट दिया जिसके दुष्परिणाम स्वरूप हमें शुद्ध हवा के साथ – साथ  बारिश के भी दर्शन दुर्लभ हो रहे है। औद्योगिकीकरण का नाम देकर नदी, नहर और  तालाबों को  पाटकर बड़ी – बड़ी बिल्डिंगों को बनाकर हमारा देश तरक्की तो कर रहा है लेकिन हम अपने प्राकृतिक खजानों से दिन- प्रतिदिन दूर होते जा रहे हैं। मुझे तो डर है कि कहीं हमारी आने वाली पीढ़ी जल से ना वंचित रह जाएं। पेड़ों के कटने से वैसे भी बारिश बहुत कम हो रही है और हमारी जमीन के भीतर जो भी जल स्रोत बचा है उनके अत्यधिक इस्तेमाल से धीरे-धीरे इनकी मात्रा घटती ही जा रही है। यदि हम ने समय रहते इन सभी कारणों पर रोक नहीं लगाई तो  हमारी  अगली पीढ़ी की तो बात छोड़ ही दो हमारी अपनी इस  पीढ़ी को भी जल की एक – एक बूंद के लिए तरसना पड़ेगा। 
पहले इंसान की बात सुनकर दूसरे इंसान ने भी उसकी हां में हां मिलाते हुए कहा “तुम ठीक कह रहे हो भाई।  मैं अपने घर में ही देखता हूॅं  कि जल की बहुत बर्बादी होती रहती हैं। मेरे बड़े भैया जब भी बाथरूम जाते हैं उतनी देर तक नल खुला ही रहता है। ब्रश भी करते हैं तो नल खोलकर ही और तो और मेरी भाभी भी कम नहीं है पूरे बरामदे और दरवाज़े को रोज ही पाइप से नहलाती है। ऐसा वह आधे घंटे से अधिक करती है। अगर इसी तरह हम जल की बर्बादी  करते रहें तो वह दिन दूर नहीं जब हमारे जीवनयापन के लिए जल ही उपलब्ध ना हो। हम सबको  मिलकर इस बारे में कुछ ना कुछ तो सोचना ही पड़ेगा क्योंकि ” जल    है     तो     कल      है 
                      इसी पर हमारा जीवन निर्भर है।”
सोनी चिड़िया की बातें चुन्नी – मुन्नी चिड़ियां ने सुनी और कहा “काश! इन दोनों इंसानों की तरह ही हर इंसान जल के महत्व को समझकर प्रकृति से जुड़ जाएं क्योंकि जब तक प्रकृति के बारे में सोचा नहीं जाएगा तब तक प्रकृति भी हम सबको सबक सिखाने के लिए समय – समय पर  अपने भयावह रूपों से हमें रूबरू कराती ही रहेगी जिसमें एक रूप यह भी होगा जब कल को यानी कि  भविष्य में जल के बिना तड़प – तड़प कर हम सबकी मृत्यु होगी इसीलिए हम सभी को प्रकृति के साथ नाता बनाएं रखने की आवश्यकता है ताकि हममें से किसी को भी कम से कम जल के बिना तड़प – तड़प कर मरना ना पड़े।” 
सोनी चिड़िया और चुन्नी मुन्नी चिड़िया तीनों ही अपने और अपने बच्चों के लिए खाने की तलाश में आसमान की सैर पर निकल गए। कुछ ही दूर गए थे कि उनकी नजर जमीन पर एक छोटे बच्चे पर पड़ी और उन्होंने देखा कि दो नन्हे हाथ एक छोटे से पौधों को अपने घर के आगे बने बगीचे में लगाने की कोशिश कर रहे हैं उसके साथ एक बुजुर्ग भी थे जो उसकी मदद कर रहे थे। तीनों चिड़िया ने मुस्कुराते हुए एक – दूसरे को देखा। उन तीनों को देखकर यह लग रहा था कि मानो वें  यह कह रहे हो कि प्रकृति से जुड़ने की शुरुआत कल की पीढ़ी ने पिछली पीढ़ी के साथ मिलकर शुरू कर दी है। 
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                                          धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
गुॅंजन कमल 💗💞💓
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