आज सोचा तो आँसू भर आए,है कौन अब जो गले से लगाए!
मुददते हो गई खिलखिलाए, है अब कौन जो आवाज दे कर बुलाए! 
 मैया छूटी,बाबुल छूटा,राखी वाला हाथ भी छूटा,दूर हो गए हमजोली भी,
कर्कश वचनो के बाणो ने जगह ले ली,छूटी मीठी बोली भी!
मतलब के है रिश्ते सारे, मतलबी दुनिया वाले हैं,
उजला अपना तन वो रखे मन रखते सभी काले हैं!
देख के मेरे मन की पीडा,अब तो गगन भी नीर बहाए!
षड्यंत्रो का रचकर जाल अभिमन्यु को फंसाते हैं,
माया के मोह मे अपने ही अपनो को शिकार बनाते हैं!
साजिशो को रचने वालो,लाज तुम्हे जरा ना आए!
दिल ही है ये पागल अपना, मतलब के रिश्तो के बिना चैन जरा ना पाए!
आज सोचा तो आँसू भर आए, है अब कौन जो गले से लगाए!
                                              श्वेता अरोड़ा
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