सुनंदा अंदर तक हिल गई थी । उस बच्ची की दर्दनाक चीखें अब भी उसके कानों में पिघलते हुए गर्म लोहे की तरह जान पड़ रहे थे । उससे ये चीखें बर्दाश्त नहीं हुई और वो वहीं बेहोश होकर गिर पड़ी ।
” सुनंदा..! सुनंदा..उठो..! ” रमेश सुनंदा के चेहरे पर पानी के छींटे मारते हुए उसे होश में लाने की कोशिश करने लगा ।
सुनंदा बदहवास सी : ” रमेश..वो बच्ची..वो बच्ची बहुत दर्द में है शायद उसके साथ कुछ बहुत ग़लत हो रहा है रमेश , वो यहीं कहीं है मैंने उसकी कराहने की दर्द से तड़पने की आवाजें सुनी है रमेश ! उसे ढूंढों वो यहीं किसी कमरें में होगी । “
रमेश गुस्से से : ” सुनंदा..! होश में आओ ! यहां किसी बच्ची की कोई भी आवाज नहीं आ रही है । शायद तुमने सपना देखा होगा और नींद में चलती हुई यहां तक आ गई होगी ! “
सुनंदा : ” मैं कोई सपना नहीं देख रही थी रमेश ! मेरा विश्वास करो मैंने आवाज़ सुनी थी । “
सुनंदा ऐसा कहते हुए रमेश के सीने से लगकर रोने लगी थी और उनसे थोड़ी दूर पर अंधेरे में एक काला साया उन्हें घूर रहा था ।
अगली सुबह…
चिड़ियों की चहचहाट सुनकर सुनंदा की आंखे खुल गई । सुनंदा की नजर बिस्तर पर गई जहां अब रमेश और नन्ही श्रुति आराम से सोए हुए थे ।
सुनंदा ने सोई हुई श्रुति के माथे को चुमा और कमरे से बाहर आ गई ।
सुनंदा रात की बातों को सोचते हुए : ” कल रात मेरे साथ जो कुछ भी हुआ क्या वो हकीकत था या मेरी दिमाग की उपज थी ! शायद रमेश सच ही कहते हैं वो मेरा वहम ही होगा ! सुनंदा अपनी सोच में गुम बाहर दरवाजे की ओर बढ़ गयी ।
” दूध…! ” दरवाजा खोलते ही एक आदमी सुनंदा के सामने आकर तेज आवाज में चिल्लाने लगा ।
दूधवाले को अचानक सामने पाकर सुनंदा की चीख निकल गयी । सुनंदा को डरता हुआ देखकर दूधवाला कहने लगा ।
दूधवाला : ” अरे बहन जी , तुम डरो नाही , हमारी सुर पेटी के कुछ सुर बिगड़े पड़े हैं इसीलिए कभी – कभी हमार गले से ऐसी तेज आवाज आ जाती है । हमें पता चला की आप लोगन यहां रहने आए हैं कही दूध लेना चाहो तो हमसे लेना बहिन जी , हम एकदम शुद्ध दूध कम कीमत में देत हैं । “
सुनंदा , दूधवाले की बातें सुनकर राहत की सांस ली ।
सुनंदा : ” तुम रूको मैं अभी पतीला लेकर आती हूं । “
सुनंदा ने कहा और भीतर चली गई । पांच मिनट बाहर आकर वो दूध लेने लगी तभी दूधवाला कहने लगा ।
” तुम बहुत अच्छी हो बहन जी , जो हमारे एक बार कहने पर ही दूध लेने के लिए मान गयी । इससे पहले जो मेम साहब रहती थी ना..वो बहुत गुस्सैल थी , ना हमसे दूध लेती थी ना ही किसी से बात करती थी । ” दूध की पतीली पकड़ाते हुए वो बताने लगा ।
दूध वाले की बात सुनकर सुनंदा का माथा ठनका और वो दूधवाले से पूछने लगी ।
सुनंदा : ” क्या इस घर में कोई और परिवार रहता था । “
दूधवाला : ” हां बहन जी , तुमसे पहले यहां एक गुस्सैल मैमसाब रहती थी । उसके जाने के बाद कुछ लोग और आए यहां रहने के लिए पर ज्यादा दिन रहे नहीं , उन लोगों ने जल्दी ही ये घर छोड़ दिया था । “
सुनंदा आंखें सिकोड़ती हुई : ” घर छोड़ दिया था ! ऐसा क्या हुआ था कि उन सबको घर छोड़ना पड़ा ! “
दूधवाला धीमी आवाज में : ” आस पास वाले कहते हैं कि इस घर में कुछ है । अक्सर देर रात में किसी की रोने की आवाज सुनाई देती हैं । “
दूधवाले की बातें सुनकर सुनंदा के हाथ – पैर फूल गये । इतने दिनों से जिसे वो भ्रम समझने की कोशिश कर रही थी असल में ये सब उसके साथ हकीकत हो रहा है ।
” अच्छा बहन जी हम चलते हैं , कल इसी टाइम में आपके घर का दरवाजा हम खटखटाएगें । ” दूधवाले ने कहा और अपनी साईकिल पर बैठकर वहां से चला गया । सुनंदा को सोचता छोड़ उसने अपनी राह ली ।
आज सुनंदा गुमशुदगी की हालत में काम कर रही थी । उसका शरीर तो कामों में लगा था लेकिन दिमाग दूधवाले की बातों पर था ।
” सुनंदा मैं काम पर जा रहा हूं अब शाम को ही लौटूंगा । तुम अपना और श्रुति का ध्यान रखना ओके.. बाय ! ” रमेश लापरवाही से कहता हुआ चला गया ।
रमेश को गये अभी कुछ ही मिनट हुए थे कि बेडरूम से श्रुति की हंसने की आवाज आने लगी
।
” ही..ही..अले मुझे नीचे उतालो मैं गिल जाऊंगी ! ” श्रुति अपनी तुतलाती आवाज में कहने लगी ।
सुनंदा को श्रुति की हंसने आवाज आने लगी ।
सुनंदा : ” श्रुति की हंसने की आवाज ! ये किसके साथ खेल रही है ! “
सुनंदा अपने आप से बातें करती हुई श्रुति के पास पहुंची ।
“पा मम्मा आ रही है , अभी तुम जाओ । “
श्रुति अपनी टेडी से खेलते हुए कहने लगी ।
” श्रुति , उठ गई मेरी गुड़िया रानी और देखो तो उठते ही खेलने भी लग गई । आखिर किससे बातें करके इतना हंस रही थी मेरी लाडो रानी ! हां ! “
सुनंदा अपनी नजरें कमरें पर दौड़ाती हुई पूछने लगी ।
” मम्मा मैं अपनी न्यू टेडी से बात कल लही थी और कित्थे बात तलूंगी ! ही..ही..! ” श्रुति अपनी तोतली जुबान से टेडी को पकड़ते हुए कहा ।
सुनंदा : ” श्रुति बेटा ये टेडी तुम्हें कहां से मिली ! क्या पापा ने खरीदी श्रुति के लिए ? “
श्रुति टेडी से खेलते हुए : ” मेरी फ्रैंड ने मुझे दी है मम्मा । “
श्रुति की बातें सुनकर सुनंदा के माथे पर पसीने की बूंदे छलक आई और उसने हिम्मत करके श्रुति से दोबारा पूछा ।
सुनंदा : ” बेटा यहां तो आप मैं और पापा ही रहते है , तो आपकी फ्रैंड कहां है । क्या आपने घर के बाहर किसी को फ्रैंड बनाया है ? “
श्रुती हंसती हुई : ” तुम भी बुद्धु हो मम्मा ! मेरी फ्रैंड ना यही हैं तुम्हारे सामने ही खड़ी है और तुम्हें घूर रही है । “
आखिरी के शब्द श्रुति ने फुसफुसाते हुए कहा जिसे सुनकर सुनंदा की आंखें डर से फैल गई थी ।