बारिश का मौसम, ठंडी हवाएं, बरखा की फुहार और साथ में चाय पकोड़े, ये सब तभी जंचता है जब आपके साथ आपका जीवन साथी हो वरना तो सब फीका है । जब मयूर नाच उठते हैं , फूल खिलते हैं, चहुं ओर हरियाली ही दिखती है, ऐसे में प्रियतम पास है तो बात ही क्या हो!!
एक फिल्मी गीत है , ” तू मयके मत जैयो.. ” जो बरसात के मौसम में सटिक बैठता है । हर तरफ बहार आपको सकारात्मक सोच देती है । सुबह सुबह पक्षियों की चहक आपकी मनोदशा को आनंदित कर देती है । ऐसे मौसम में सारे गिले-शिकवे भुलाकर एक साथ आंगन में बैठ चाय पीने का अलग ही मजा है ।
उस आनंद में चार चांद लग जाते हैं जब पत्नी की चूड़ियां और पायल खनकती है। और चाय पर जब पति अपना रोज़ सुबह का साथी यानी समाचार पत्र हाथ में लेकर चाय पीने बैठे तो कहने ही क्या उन लम्हों के जब पत्नी शरारत से वो अखबार हाथ से छीन ले और झूठी नाराजगी दिखाकर पति को चाय पीने का आग्रह करे ।
चाय का आनंद तो आप ऐसे मौसम में अपने गलियारे, घर के आंगन या अपने बगीचे में लीजिए जहां आप अपने मन को प्रकृति से जोड़ सके और अपने जीवन साथी की आंखों में अपने लिए प्यार टटोलें ।
यूं कहिए चाय तो एक बहाना है, अपना अहम् छोड़ सर्वस्व लुटाना है , क्या पुरुष क्या स्त्री! जीवन साथी बनकर अपना धर्म निभाना है ।
वो झगड़े ही बेमतलब है जो ऐसे मौसम में भी हमें अपनों से दूर रखें । तो आज ही चाय पर सारे अहम् और वहम को विदा करें और अपनों को खुल के स्वीकारें । सुबह की चाय और इश्क का बड़ा पुराना नाता है जैसे सुबह की चाय और अखबार का । दोनों ही एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं ।
