पानी में आग लगाना
कम नही आंकों नारी को
है नही ये किसी से कम
हर क्षेत्र में ये अपना
परचम फहरा रही
हर असंभव कार्य को संभव कर
पानी में आग लगा रहीं
फिर चाहे घर हो संभा लना
या किसी कंपनी को
महामहिम राष्ट्रपति बन
देश की बागडोर संभाल रही
रखती है उड़ने की चाहत
खुले आसमान में
मिल जाए मौका गर इन्हें
क्या नही ये कर जाएं
दुर्गा,काली,चंडी रूप ले
शत्रु को मार भगा रही
ट्रेन ,वायुयान उड़ा रही
चांद पर पहुंच कर
तिरंगा फहरा रहीं
कम नही आंकों इनको
पानी में आग लगा रहीं।।