साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु प्रदत्त विषय
पानी में आग लगाना ।
कविता
पानी में जो आग लगाये ,
सब के बस की बात नहीं।
हर कोई काविल न होता,
झूठी बाते कहते नहीं।
करें असंभव को संभव वो,
पानी में आग लगाते हैं।
जैसे कोई अपंग कभी,
जो पर्वत पर चढ़ जाते हैं।
गूंगे जब गाने के साथ में,
जब अलाप लगाते हैं।
कभी कभी जब महामूर्ख भी,
कालिदास बन जाते हैं।
जब कोटिल्य एक बालक को,
शासक कुशल बनाता है।
यही कारनामा चाणक्य का,
पानी में आग लगाता है।
नर वानर ने सेतु बनाया,
जो रामसेतु कहलाता है।
सारा कटक सेतु पर चढ़कर,
सागर पार पहुंच जाता।
पानी में पत्थर तैरते लख,
विज्ञान न कुछ कह पाता है।
ऐसे चमत्कार को लखकर,
दांतों से अंगुली दबाता है।
श्री राम जी सेतु बना,
पानी में आग लगाते हैं।
केबल राम के काम निराले,
इक आर्दश दिखाये है।
जन जन के मन राम बसे,
पानी में आग लगाते हैं।
बलराम यादव देवरा छतरपुर
बहुत सुंदर