देखो फिर आया बसंत
फूलों पर छाया रंग
मन में बज रही जल तरंग
खुशियो को लेकर आया संग
हर तरफ छाया पीत रंग
फिर आ गया बसंत
कमल पुष्प आसीत मां
जो देती ज्ञान का भंडार
कहती कीचड़ में कमल बनो
कर्मो से अपने महान बनो
विद्या दायिनी हंस वाहिनी
चरणो में तेरे शीश झुकाते
कितना हो घन घोर अंधेरा
ज्ञान का एक दीपक बहुतेरा
लेकर मौसम की बहार
आया बसंत का त्योहार
मां सरस्वती की वीना सुनकर
बागों में कोयल भी कूकी
मोर पपिहा नाच उठे सब
खेतों में सरसो। भी फूली
वीना की मधुर झंकार से
प्रकृति भी मदमस्त झूमी।
आया बसंत छाया बसंत।।