नाच न जाने आंगन टेढ़ा
जिनको काम आता नहीं
झूठे सौ बहाने बनाते
नाचना आता नहीं
आंगन को टेढ़ा बताते
संसार में अपने आप को
सबसे बड़ा ज्ञानी समझते
खुद अमल करते नहीं
पर सबको उपदेश देते
जानते बूझते कमियों
कोअपनी छिपाते
पकड़े जाने पर
दोष औरों का बताते
अपनी कमियां ,अपना दोष
उनको नजर आता नहीं
खुद को सही साबित करने को
झूठी दलीलें देते
यही उनकी फितरत है
यही है उनकी प्रवृत्ति
जिनको नाचना आता नहीं
आंगन को टेढ़ा कहते।।