पैसों की तो चाह नहीं
इज्जत सम्मान ही कमाई है
चंद रूपयों की खातिर
जिसे सबने आज गंवाई है
कमाया है प्यार बड़ों का
जो उनकी दुआओं से मिलता
खुश होकर देते आशीष
तिजोरी मेरी भर जाती हैं
परिवार का प्रेम कमाया ।
बड़ी मेहनत प्रेम और विश्वास से
दिनरात एक कर
सींचा इनको प्यार से
माया तो ठगनी है चंचल है
एक जगह नही रुकती
आज मेरी कल किसी और की
जाल अपना बिछा कर रखती
रिश्ते हैं जीवन की पूंजी
इन्ही को कमाया है
इन्ही से भरी तिजोरी
यही पहली कमाई है।।