रश्मिरथी साप्ताहिक प्रतियोगिता
विषय; बोया पेड़ बबूल का तो,आम कहां से होय।
विधा ; दोहा चौपाई
बोया पेड़ बबूल का तो,आम कहां से होय।
वैसे मिलते फल हमें, जैसे बीज थे,बोय।
चौपाई हम सब जैसे पेड़ लगाते।
उनसे फल वैसे ही पाते।
कर्म किये फल मिलता भाई।
मिले नीम अंगूर मिठाई।
करके बुरा भले की चाहत।
करते औरों का मन आहत।
अपयश करके यश को चाहे।
करें अनीति न नीति निबाहें।
झूठ कपट कर द्रव्य कमाते।
राम नाम है सत्य बताते।
जो जस करे सो तस फल पावै।
ऐसा नीति निगम यश गावै।
करते सदा सुकर्म सहाई।
तजिए कुकर्म ये सब दुःख दाई।
जाके उर में द्वेष समाया।
ताके हृदय धर्म न दाया।
गुण अवगुण संगत अधीना।
कर्म प्रधान बना विधि दीना।
समय सदा जनहित के दीजे।
काम से नाम जगत में कीजे।
सदा भलाई में चित दीजे।
मीठे वचन सुधा रस पीजे।
आम से मिलें आम्र फल भाई।
शूल बबूल देत दुःख दाई।
हम सब जैसे पेड़ लगाएं।
वैसे ही उनके फल पाएं।
कभी बबूल से आम न पाते।
सत्य वचन हम सबै सुनाते।
बलराम यादव ,देवरा छतरपुर