फिर से वही सर्द तन्हाई,
फिर से वही बरसात है,
जो तेरे आने से पहले था,
अब तेरे जाने के बाद है।
फिर से वही पतझड़ के दिन,
फिर वही भींगी सी रात है,
जो तेरे आने से पहले था,
अब तेरे जाने के बाद है।
फिर से वही तारों का गिनना,
फिर वही चांद से मुलाकात है,
जो तेरे आने से पहले था,
अब तेरे जाने के बाद है।
फिर से मेरी सांसों का थमना,
फिर वही अनजानी आहट है,
जो तेरे आने से पहले था,
अब तेरे जाने के बाद है।
फिर से दिल में हूक सी उठना,
फिर वही अधरों पर सवालात हैं,
जो तेरे आने से पहले था,
अब तेरे जाने के बाद है।
फिर से खाली शाम का आना,
फिर वही सुबह के हालात हैं,
जो तेरे आने से पहले था,
अब तेरे जाने के बाद है।

रंजना लता

समस्तीपुर बिहार
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