बहुत खामोशी से तुम चली गई ,

लौट के ना आने के लिए ।

मैं देती रही आवाज पर तुम सो चुकी थी,

फिर कभी न जगने के लिए ।

बुलाया मुझे मिलना है तुझसे,

पर तुने तो बुलाया साथ छुड़ाने के लिए ।

ये कैसी आंख मिचौली खेली,

कोई ढूंढ न पाए दोबारा खेलने के लिए ।

तेरी आती है याद बहुत,

पर तु तो गई कभी न आने के लिए। 👩‍👦

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PritiUpadhyay

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