बहुत खामोशी से तुम चली गई ,
लौट के ना आने के लिए ।
मैं देती रही आवाज पर तुम सो चुकी थी,
फिर कभी न जगने के लिए ।
बुलाया मुझे मिलना है तुझसे,
पर तुने तो बुलाया साथ छुड़ाने के लिए ।
ये कैसी आंख मिचौली खेली,
कोई ढूंढ न पाए दोबारा खेलने के लिए ।
तेरी आती है याद बहुत,
पर तु तो गई कभी न आने के लिए। 👩👦