बेईमानी भी जरा ईमानदारी से निभाओ ,
वक्त के साथ तुम जरा कदम तो मिलाओ।
 जो भूले हैं तुमको अरसे से ना जाने क्यों ,
एक बार उन्हें भूल कर ,तुम भी तो दिखलाओ ।
पैसा गर नहीं है पास तुम्हारे, तो हुआ क्या,
 खुद्दारी की रौनक से खुद को चमकाओ ।
और देता नहीं कोई किसी को ,सिवाएं खुदा के,
 तो फिर किसी की अकड़ के नीचे क्यों आओ।
है नाराज दुनिया तो दुनिया ही जाने ,
तुम खुद अपने गमों पर एक बार तो मुस्कुराओ।
 ईमान को तुम्हारे खरीदने की ,गर कोशिश हो ‘सीमा ‘
एक बार उन्हें बेईमान भी बनकर तो दिखलाओ

 स्वरचित सीमा कौशल यमुनानगर

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