जब से आए हो साथ मेरे
यूं ही बेवजह मुस्कुराने लगा हूं
आदत नहीं है यूं कही झूमने की
पर न जाने क्यूं झूम- झूम गाने लगा हूं
कितना शांत रहता था
गरजते बरसते बदरा में भी
अब बिन बदरा भी भींग जाने लगा हूं
जब से साथ आए हो मेरे
यूं बेवजह मुस्कुराने लगा हूं
कभी निहारता नहीं था
यूं ही आसमानों को
अब तारों को गिन गिन कर
रातें पूरी बिताने लगा हूं
जब से साथ आए हो मेरे
यूं बेवजह मुस्कुराने लगा हूं
शरद ऋतु के पतझड़ सी थी जिंदगी मेरी
वसंत की कुमुदिनी सा ललहाने लगा हूं
जब से साथ आए हो मेरे
यूं बेवजह मुस्कुराने लगा हूं
जब से साथ आए हो मेरे
यूं बेवजह मुस्कुराने लगा हूं
यूं तो ना जानता था तूझे न जाने क्यूं
तेरी ओर खींचा जाने लगा हूं
डरता हूं तुझे खोने से
पर तेरे नाम से ही
अब यह जीवन बिताने लगा हूं
इजहारे इश्क के समय ना जाने कितना डरा था मैं
तेरे हां से ही इश्क के लहरों में डूब जाने लगा हूं
जब से साथ आए हो मेरे
यूं बेवजह मुस्कुराने लगा हूं