किसे पता था कि एक दिन ऐसा आयेगा
जब इंसान ही इंसान की मौत का कारण बन जायेगा
आदमी अपने ही घर में कैद हो जायेगा 
एक दूसरे की शक्ल देखने से भी घबरायेगा 
कोई चायनीज वायरस इतना घातक बन जायेगा
कि अपनों की लाश को भी देखने से कतरायेगा 
ना अस्पतालों में जगह होगी ना इलाज मिल पायेगा
मरीज खुद ऑक्सीजन का सिलेंडर उठाकर आयेगा
ऑक्सीजन ब्लैक में बिकेगी इंजेक्शन मिल नहीं पायेगा
जगह जगह पर लाशों का अंबार नजर आयेगा 
शहर वीरान से लगेंगे बाजारों में सन्नाटा पसर जायेगा
सड़कें सुनसान हो जायेंगी खौफ का साम्राज्य हो जायेगा
पति भी घर में झाड़ू लगाता मिल जायेगा और
नित नये पकवान बनाकर पत्नी को खिलायेगा 
मीडिया पत्रकारिता के नाम पर दहशत फैलायेगा
विपक्ष स्वदेशी वैक्सीन पर ही उंगली उठायेगा 
किसे पता था कि एक दिन ऐसा आयेगा 
कि मास्क से अपना मुंह छुपाना पड़ जायेगा 
हरिशंकर गोयल “हरि”
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