जयगढ़ राज्य बहुत समृद्ध और शक्तिशाली  था ।राजा प्रजापालक  होने के साथ साथ बहुत उदार भी थे।

राजा रानी की एक पुत्री थी राजलक्ष्मी ।अति सुंदर और बुद्धिमान।
एक बार राज्य में एक चित्रकार आया ,उसकी ख्याति दूर देश तक फैली थी,वह जो भी चित्र बनाता ऐसा लगता जैसे वो अब बोल उठेगी।
राजा ने राजकुमारी का  चित्र,चित्रकार को  बनाने का आदेश दिया।
चित्रकार राजकुमारी का चित्र बनाने लगा ।चित्र पूर्ण होते होते, चित्रकार राजकुमारी की सादगी और सुंदरता पर मर मिटा,लेकिन उसने अपनी मन की भावना उजागर नहीं की।
राजा का दरबार लगा था,चित्रकार राजकुमारी का चित्र लेकर दरबार में हाजिर हुआ।वहां उपस्थित सभी दरबारी ,और मंत्री ,सेनापति उस चित्रकार की अद्भुत कला को देख अचंभित हो गए ,चित्र  देख कर  ऐसा लग रहा था कि राजकुमारी उन सबके सामने चली आ रही है।
राजा ने खुश होकर चित्रकार को ढेर सारा धन दिया और उससे कुछ भी मांग लेने को कहा।
चित्रकार तो राजकुमारी को ही मांगना चाहता था ,लेकिन कह न सका ।
उसने राजा से कहा _”आपने मुझे इतना सम्मान दिया उसका आभारी हूं ,कभी आप के किसी काम आ सकूं तो  ,ये मेरा सौभाग्य होगा”,कहकर वह दरबार से निकल गया।
राजा रानी को राजकुमारी के विवाह की चिंता हो रही थी,उन्हें तलाश थी योग्य वर की ,इसलिए उन्होंने स्वयंवर कराने का विचार किया।
उसी राज्य में एक जादूगर रहता था ,जो राजकुमारी की सुंदरता पर लट्टू था ,वो येन केन प्रकारेण राजकुमारी को पाना चाहता था।
वह तुरंत राजा के पास पहुंचा और राजकुमारी का हाथ अपने लिए मांगा राजा  ने साफ मना कर दिया।
उसने हार नहीं मानी और राजकुमारी से मिलकर प्रणय निवेदन किया।
राजकुमारी ने साफ मना कर  दिया,इससे जादूगर नाराज हो गया और उसने राजकुमारी का अपहरण कर लिया ,और उसे अपने साथ अपने घर ले गया।
वहां उसने अपना प्रश्न राजकुमारी से फिर से दोहराया ।
  राजकुमारी ने इस बार भी मना कर दिया ,जादूगर गुस्से से भर गया और उसने  राजकुमारी को तितली बना ,एक पिंजरे में कैद कर दिया।
राजकुमारी रोती ,लेकिन जादूगर की बात नहीं मानती ।
राजा रानी बहुत परेशान थे ,उन्होंने हर तरफ राजकुमारी की खोज कराई,लेकिन नतीजा शिफर रहा।
एक दिन जादूगर कहीं बाहर गया था उसी दिन  जोरों का तूफान आया ,सारी खिड़कियां दरवाजे खुल गए।तितली बनी राजकुमारी का पिंजरा भी खुल गया।
तितली वहां से उड़ चली ।
राजकुमारी निकल तो गई थी ,लेकिन तूफान के थपेड़े  वह तितली के रूप में सह नहीं पा रही थी।
बड़ी मुश्किल से उड़ते उड़ते ,उसे एक घर दिखाई दिया वह उड़ के अंदर चली गई ।
वहां पहुंचते ही वह अचंभित हो गई ,वह उसी चित्रकार का घर था जो राजकुमारी से प्यार करता था,उसके घर की दीवारों पर  चारों ओर राजकुमारी की तस्वीर लगी थी।
चित्रकार की नजर तितली पर पड़ी ,वह घबराई और जख्मी थी।चित्रकार ने उसे पकड़ कर उसके जख्मों पर मलहम लगाया।कुछ दिनों बाद तितली स्वस्थ हो गई ,वह चित्रकार के उसके प्रति प्यार को देख अभिभूत थी।
वह चिल्ला चिल्ला कर कहना चाहती थी कि वही राजकुमारी है ,जिसे वो प्यार करता था,लेकिन बताती भी कैसे ,चित्रकार उसकी भाषा थोड़े समझता ।
तितली के ठीक होने के बाद चित्रकार ने  उसे जंगल में छोड़ दिया।
तितली रोने लगी ,वह एकदम अकेली हो गई थी  ,न घर का रास्ता पता था न ही वो राजकुमारी के रूप में थी।
 उसे रोता देख नीली परी वहां प्रकट हुई ,राजकुमारी ।
तितली को सुखद आश्चर्य हुआ ,_अरे आपने मुझे पहचान लिया?
नीली परी ने कहा _, हां,राजकुमारी मैं तुम्हें पहचान सकती हूं।
“क्या आप मेरा  राजकुमारी वाला रूप लौटा सकती हैं”?तितली ने कहा।
नहीं ,तुम्हारा रूप केवल जादूगर ही लौटा सकता है, मैं सिर्फ  तुम्हारी आवाज लौटा सकती हूं,जिससे तुम किसी से अपनी आवाज में मदद मांग सकती हो।
इतना कहकर नीली परी ने अपनी छड़ी घुमाई और और राजकुमारी की आवाज लौट आई।
वह उड़ कर चित्रकार के घर पहुंची और बताया कि वो राजकुमारी है उसे जादू से जादूगर ने तितली बना दिया है ,तुम मेरे साथ जादूगर के घर चलो,वहां के एक मटके में रखें जादुई पानी को मेरे ऊपर डाल देना , मैं फिर से अपने रूप में आ जाऊंगी।
चित्रकार बहुत खुश था , कि वह अपने प्यार ,अपनी राजकुमारी के काम आने वाला है । वे दोनों फौरन जादूगर के घर रवाना हुए।
वहां उस  समय जादूगर नहीं था ,चित्रकार को तितली ने एक अभिमंत्रित जल से भरे मटके से पानी उसके उपर छिड़कने को कहा।
चित्रकार ने वैसा ही किया ,राजकुमारी जल छिड़कते ही अपने रूप में आ गई ।
राजकुमारी ने चित्रकार को ,जादूगर का  ग्लोब की तरह रखा शीशा फोड़ देने को कहा,जिससे जादूगर की सारी शक्तियां  खत्म हो गईं।
राजकुमारी ,चित्रकार के साथ राजमहल वापस आ गई ,जहां धूमधाम से दोनों का विवाह संपन्न हुआ।
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