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क्या पता था दिल को
की कुछ ऐसा कर जायेगा
खुद को खुद को ढूंढ़ते ढूंढ़ते
किसी और का हो जायेगा
सोचा था हमने भी
कभी दिल्लगी न करेंगे किसी से
क्या पता था की
ना ना करते ही मोहब्बत होजायेगा
बहुत हँसी अहसास लगती है
ये जो मोहब्बत के रस्मे
दिल को यकीं होजाता है
झूठे भी कस्मो पे किसी के
एक शख्स के आगे
जो सारे अपने भी पराये लगते है
एक महबूब के ख्याल मे
हम अपने हकीकत से बेखबर होजाते है
बड़ जाती है दिल मे इतनी
ये इश्क़ पल पल ज़िन्दगी मे
की खुद के पहचान मे भी
अब सनम के परछाई दिखते है
क्या खबर होता है इस पागल दिल को
की सामने वाला इश्क़ के आढ़ मे
दिल के अहसासों के साथ शतरंज खेल रहा है
महसूस तब होता है दिल को
ज़ब बनाके मोहरा ज़िन्दगी मे 
खिलाडी आगे निकल जाता है
बहुत देर होचुकी होती है ज़िन्दगी मे
ज़ब तक इस इश्क़ के बज़िया समझ आती है 
रुक जाती है ज़िन्दगी जैसे ताउम्र के लिए
टूट कर दिल कुछ इस तरह बिखर जाता है
हँसना तो होता है हर हाल मे
पर होंठ ताउम्र के लिए खामोश होजाता है
सोचो ज़रा क्या गुज़रे होंगे दिल पर
जिसके लिए अपनों को छोड़ा
वही शख्स हमें आसानी से ठुकरा देता है
जिसके नाम अपनी हर खुशी कर दी
ताउम्र के लिए दर्द-ए-तोहफा देजाते है
ये सिर्फ एक दिल के कहानी नहीं
इस जहाँ मे हर कोई इस इश्क़ का मारा होता है
कोई छुपा लेता है आँसू
अपनो के बिच झूठे मुस्कान के पीछे
तो भरे महफिल मे नैना ग़ज़ल गुनगुना जाते है….!!
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नैना… ✍️✍️
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