आज सुबह आठ बजे रश्मिरथी की ओर से विषय आ गया ” कोशिश” फिर कुछ देर बाद एक दूसरा विषय भी आ गया “शतरंज” जिसे बाद लिख कर आया कि त्रुटिवश आज दो विषय प्रकाशित हो गए हैं खैर कोई बात नहीं आप जिस विषय पर चाहें लिख सकते हैं। चलो अच्छा हुआ लोगों को स्वरुचि अनुसार लिखने का ऑप्शन मिल गया।
मैं तो भई “कोशिश” पर ही लिखूँगी क्योंकि मुझे एक तो प्रथम दृष्ट्या ही कोशिश विषय बहुत पसंद आ गया।दूसरे हम जीवन भर हर चीज के लिए कोशिश ही तो करते आए हैं और कर रहें हैं तथा अंतिम सांस तक करते रहेंगे।
यदि कोई मुझे एक पंक्ति कोशिश के लिए लिखने को कहे तो मैं लिखूँगी कि ‘असफलता में सफलता का रस घोलना ही कोशिश है’।
मेरा तो स्वयं का मंतव्य है कि
कोशिश आखिरी सांस तक करनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से या तो लक्ष्य हासिल होगा या अनुभव,प्राप्त होने वाली दोनों चीजें ही अच्छी हैं। सही ही कहा गया है –: कि ‘वो नहीं आती पर निशानी भेज देती है ख्वाबो में दास्ताँ पुरानी भेज देती है, कितने मीठे हैं उसकी यादों के मंज़र कभी कभी आँखों में पानी भेज देती है।’
वास्तव में कोशिश की शख्सियत अपने आप में बहुत महत्त्वपूर्ण है, जिसकी विवेचना सदैव न्यून ही रहेगी।
मेरा अपना तो आजीवन यही फलसफा- क्या स्वयं के लिए क्या सामने वाले के लिए,- रहा है कि प्रयास / कोशिश हर असंभव को भी संभव करने में शक्ति संपन्न है।नन्हें से नन्हा जीव का उदाहरण भी सफलता के हित कोशिश का ही दिया जाता है।यह सारे तथ्य आज के कोई नए नवेले नहीं हैं अपितु चिरकाल से चले आ रहे हैं।
हमारे श्रद्धेय साहित्य जगत के शिरोमणि प्रथम राष्ट्रकवि सम्मान से सम्मानित श्री सोहन लार द्विवेदी की कविता ” कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती” मेरे विचारों की ज़ोरदार पोषक है जिसमें आपको एक नहीं अनेक उद्धरण देखने को मिल जायेंगे। न वो काव्य धरोहर कोई आज का है और न ही वे उद्धरण जो कोशिश को पोषित करते हैं। सच में कोशिश ही वह जरिया है जो सफलता के सोपानों का सारगर्भित सौंदर्य बढ़ाती है।
लेखिका –
सुषमा श्रीवास्तव
मौलिक रचना