समय कितनी तेजी से बदल रहा है , पता ही नहीं चलता है । हर दूसरे तीसरे साल तकनीक में इतना परिवर्तन हो जाता है कि मोबाइल और लैपटॉप पुराने से लगते हैं । अभी कल परसों ही श्रीमती जी कह रहीं थी कि टी वी नया ले लो ना । मैंने कहा भाग्यवान अभी दो साल पहले ही तो लिया है लेटेस्ट मॉडल । वो बोली कि अब वो पुराना सा लगता है । हमें बड़ी झुंझलाहट हुई और हमने गुस्से से कह दिया कि जाओ , नया पति भी ले आओ । लेटेस्ट मॉडल वाला । ये मॉडल तो अब बहुत पुराना हो गया है ना । बस, इतनी सी बात पर वह मुंह फुलाकर बैठ गई । ये भी कोई बात है भला ?
मेरी तो आज तक यह समझ में नहीं आया कि हम मर्द लोग पत्नियों के लिए “भाग्यवान” शब्द का उच्चारण क्यों करते हैं ? क्या वे ही अकेली भाग्यवान हैं हम कुछ भी नहीं हैं ? या फिर हम मर्द लोग भाग्य हीन हैं ? बड़ा गूढ़ प्रश्न है ये । इसका जवाब भी कोई ज्ञानी ध्यानी ही दे सकता था । हर किसी के बस की बात नहीं है इसका जवाब देना । इसलिए हम किसी जाने माने ज्ञान ध्यानी आदमी की खोज में निकल पड़े । अगर दिल में जज्बा कूट कूटकर भरा हो और मेहनत करने में शर्म नहीं आती हो तो इस दुनिया में सबको सब कुछ हासिल हो सकता है । हमारी तपस्या रंग लाई और हमें भी एक ज्ञानी ध्यानी व्यक्ति मिल गये । हिमालय की कंदराओं में धूनी रमा रहे थे । सब तरह का अनुभव था उनके पास । जब वे किशोर थे तो पड़ोस की छम्मकछल्लो से नैन लड़ा बैठे । लड़की के बाप ने देख लिया तो उन्हें सरेआम कूट दिया । इस सार्वजनिक कुटाई के पश्चात ज्ञानी जी ने नैन मटक्का करना छोड़ दिया । और छोड़ा भी तो ऐसा छोड़ा कि अपनी लुगाई से भी कभी नैन नहीं लड़ाये । बीवी ने इसकी शिकायत अपने ससुर से की तो बाप ने भी ज्ञानी जी को जमकर कूटा और कहा कि साले छम्मकछल्लो से तो नैन लड़ा लेगा मगर अपनी बीवी से नहीं लड़ायेगा ? वो क्या नैन मटक्का करने पड़ोस में जाये ?
उसकी औरत को अपने ससुर की बात इशारों से समझ में आ गयी और उसने अपने पड़ोस में रह रहे “छैनू दादा” से नैन मटक्का कर लिया । इससे ज्ञानी जी बड़े अपसेट हुये । बीवी से उन्हें ऐसी उम्मीद नहीं थी । फिर उनको भी जोश चढ़ा और उन्होंने छैनू दादा की बीवी और बहन दोनों से एक साथ नैन मटक्का कर लिया । एक दिन छैनू दादा को इसकी भनक लग गई तो उन्होंने अपनी बीवी और बहन के सामने ही ज्ञानी जी को कूट दिया । ज्ञानी जी सरेआम कुटाई बर्दाश्त कर सकते थे मगर अपनी दो दो माशूकाओं के सामने कुटाई कैसे बर्दाश्त करते ? इतनी बेइज्जती कौन बर्दाश्त कर सकता है आज के जमाने में ? इस घटना से ज्ञानी जी का दीन दुनिया से मोह भंग हो गया और हिमालय की कंदराओं में आकर ध्यान लगाने लगे । दुनिया भर का ज्ञान अर्जित कर लिया था उन्होंने । हमारी किस्मत इतनी अच्छी थी कि हमें ज्ञानी ध्यानी जी जैसा मर्मज्ञ मिल गया ।
हमने अपनी समस्या उनके सामने रखी “औरतों को ही भाग्यवान क्यों कहते हैं, पुरुषों को क्यों नहीं” ? क्या पुरुष भाग्यवान नहीं होते हैं” ?
ज्ञानी जी बहुत देर तक शून्य में देखते रहे शायद सभी ज्ञानी लोग ऐसा ही करते हैं । जो व्यक्ति जितना ज्यादा शून्य में देखता है वह उतना ही ज्यादा ज्ञानी माना जाता है । शून्य में ताकने के बाद वे अचानक बोले ” बड़ी सिम्पल सी बात है । बीवी को भाग्यवान इसलिए कहते हैं कि उन्हें हमारे जैसा होनहार, होशियार, हुनरमंद, हीरा जैसा पति मिला । लेकिन हमें क्या मिला ? शकी, तंग हृदया , संकीर्ण मानसिकता वाली एक अदद पत्नी ? फिर भला हम भाग्यवान कहाँ हुये ? जब हम पति लोग भाग्यवान हैं ही नहीं तो फिर कोई हमें भाग्यवान क्यों कहेगा ? देखा जाये तो हम पति लोग बड़े भाग्यहीन व्यक्ति हैं । हमारे जैसा भाग्यहीन और कोई है क्या इस जगत में ? मगर हम लोग बड़े दिल के होते हैं इसलिए अपना दुख चौराहे पर नहीं बांटते हैं । मन में ही रखते हैं । क्यों सही है ना” ?
इतनी सुंदर व्याख्या की तो मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी । आत्मा प्रसन्न हो गई । ज्ञान गंगा में डुबकी लगाने जैसी फीलिंग्स होने लगी । ज्ञानी जी इतने ज्ञानी निकलेंगे इसकी तो कल्पना भी नहीं की थी हमने । इसके बाद से तो अपनी हर समस्या के लिए मैं ज्ञानी जी के पास जाने लगा । समस्या चाहे चीन द्वारा गलवान घाटी पर अतिक्रमण की हो या पत्नी की महावारी के समय पेट दर्द की हो, सब समस्याओं का हल है उनके पास । अद्भुत भंडार भरा है ज्ञान का उनके दिमाग में । मैंने तो उनसे आग्रह भी किया कि चुनाव लड़ लो , प्रधानमंत्री तो बन ही जाओगे । जब एक चायवाला प्रधानमंत्री बन सकता है तो वे क्यों नहीं ? वे तो ज्ञानी हैं महा ज्ञानी हैं, ध्यानी हैं । इस पर वे कहते हैं कि वे चुनाव तो लड़ लें मगर इस देश में एक जमात है जिसे लोग लिबरल्स कहते हैं । वे एक खानदान विशेष की गुलाम है । उनको तो उस खानदान विशेष का कुत्ता भी प्रधानमंत्री पद का दावेदार लगता है मगर बाकी लोग निरे मूर्ख प्रतीत होते हैं । ऐसे में वे लोग दूसरों का जबरदस्ती चरित्र हनन करना शुरू कर देते हैं । ऐसे में अगर वे प्रधानमंत्री बन भी गये तो ये लिबरल्स पता नहीं उनकी मां बहन पर कितना कीचड़ उछालेंगे ? बस, यही सोचकर चुनाव लड़ने का विचार छोड़ दिया ।
कुछ भी हो , ज्ञानी जी बात तो पते की कहते हैं । हमने उनके ज्ञान का लोहा मान लिया । आप लोग भी चाहें तो उनके ज्ञान से लाभान्वित हो सकते हैं।
हरिशंकर गोयल “हरि”