परमात्मा ने,नारी जाति की–
संरचना, बड़ी ही फुर्सत में की होगी,
सौभाग्य, शक्ति,सम्मान,भाग्यशाली–
कितनी अनगिनत विशेषताएं भी दी होंगी,
लेकिन, क्या पता था इस कलयुग में–
नारी की दुर्दशा हो जाएगी–
और इन सारी विशेषताओं की–
महत्वता,शुन्य हो जाएगी–
पत्नी के रूप में नारी को–
ग्रह लक्ष्मी कहा गया है,
लेकिन, उस लक्ष्मी का–
सम्मान, कहां हुआ है,
डर है कहीं, यह स्त्री जाति–
लुप्त ना हो जाए–
सौभाग्य, शक्ति,सम्मान–
भाग्यशाली, ऐसी विशेषताएं–
भी,उसके साथ विलुप्त ना हो जाए,
लेकिन, ऐसा होना आसान नहीं है,
नारी नहीं तो पुरुष जाति का–
अस्तित्व नहीं है, स्वाभिमान नहीं है।
संगीता वर्मा ✍✍