शहर से दूर गांव की अगुवाई पर भगत राम का परिवार रहता था। यह गांव का सुखी परिवार था। भगत राम की पत्नी पद्मा देवी अपने परिवारिक जीवन में सुखी थी। उनकी एकलौती संतान उदय बड़े ही पूजा पाठ के बाद उन्हें मिला। भगतराम और पदमा देवी की काफी समय तक कोई संतान नहीं हुई और उन्होंने तो उम्मीद ही छोड़ दी थी, तब भगवान की कृपा से उदय का जन्म हुआ। अब तो उदय बड़ा हो चला था और शहर में उसकी जॉब लगी थी। उदय के बाबूजी शहर में जाकर नहीं बसना चाहते थे। उदय की मां तो उसको भी नहीं भेजना चाहती थी, परंतु उदय के पिताजी ने कहा कि हमें बेटे की तरक्की के आगे नहीं आना चाहिए। उदय की मां उसके इतनी मुश्किलों से पैदा होने वाली बात याद करके अत्यंत दुखी थी। आखिरकार मां को सब की बात माननी पड़ी और उदय नौकरी के लिए शहर चला गया। शुरुआत में उदय हर हफ्ते शनिवार, रविवार आ जाया करता था, परंतु कभी कभार नहीं भी आ पाता था। धीरे-धीरे उदय की विवाह की बातचीत चल रही थी, उसका विवाह भगत राम के बचपन के दोस्त की बेटी पंछी के साथ संपन्न होना तय हुआ था।
क्रमशः अगले भाग में।
प्रिया धामा
भिलाई, छत्तीसगढ़
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