मिल जाते अगणित सखा, बंधु, जाने-अनजाने चेहरे मे. .
इन चेहरे की प्रतिछाया का पहचान बनाए रखना है. .
हो जाता जिनसे कुशलक्षेम, मिलती अनगिनत दुवाए है. .
इन शब्दो मे मर्यादा का स्थान बनाए रखना है. . .
जाहिर न हो पाए दूरी , प्रतिबिंब देखकर हर्षाना
इन क्षणिक पलो के सुख मे भी सौहार्द बनाऐ रखना है. .
मिल जाता कोई हमराही अनजानी सी इस दुनिया मे. .
गुरु , मात पिता का सर्वप्रथम पहचान बनाए रखना है. .
सोशल साइट का दुरुपयोग बन जाए न संगीनजुर्म
सोशल हो कर भी निजता का संज्ञान बनाए रखना है. . ।