लफ्ज़  जो  गुजरे है लब से तेरे , वो  दुआ हो  गए
इस कदर पूजा है तुमको  , कि  तुम  खुदा  हो गए
ना था  इल्म  जरा भी  फितरत ए इश्क  का कभी
आकर तेरी आगोश   में , हम  क्या से  क्या   हो  गए
चलने  लगे है  राह ए इश्क  में  इस  कदर   देखिए
मंज़िल  बन गए हो आप,  ओर  हम  रास्ता हो गए
करने लगे है नसीहतें जो ,कभी मेरा ये हाल देख कर
मुहब्बत का असर ऐसा कि ,वो अब  हमनवां हो  गए
रखा था महफूज़ खुद को इन प्यार मुहब्बत की बातों से
देखा जो एक झलक वो वादे वो कसमे सब हवा हो गए
π@अमित™
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