तेरी वजह से है माथे की बिंदिया।
तेरी मौजूदगी का सबूत है बिंदिया।
अमानत हूं तेरी बताती है बिंदिया।
मुखड़े की सुंदरता बढ़ाती है बिंदिया।
मस्तक को शीतल रखती है बिंदिया।
विज्ञापन ने भी सिद्ध किया सुन री बिंदिया।
रंग-बिरंगी,रंगीली होती है बिंदिया।
गोल,चौकोर,अर्द्धचंद्र,लंबी होती है बिंदिया।
मोती,नगीने जड़ी सजीली होती है बिंदिया।
श्रृंगार अधुरा लगता बिन बिंदिया।
तेरे नैन की निंदी उड़ाती है बिंदिया।
तारे भी फीके चमके जब बिंदिया।
तेरे नैन चमके जब मारे लसकारे बिंदिया।
घोलो कुमकुम लगालो बिंदिया।
कभी लघु पर्चे सी चिपका लो बिंदिया।
-चेतना सिंह,पूर्वी चंपारण