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हर जगह और हर तरफ
फैल रहा कुछ ऐसे भ्रष्टाचार
की भूलने लगे लोग अपने खून भी
जैसे खेल बनते जारहे हर रिश्ते की मान
किस राह से गुज़रे ज़िन्दगी
कहाँ मिले कुछ सुकून भरी मुस्कान
हर गली और हर चौराहे पर
लगा बैठे है भेड़िये भ्रष्टाचार की दुकान
किस चहरे पर कोई भरोसा करें
किसपे करें कोई ज़िन्दगी मे विश्वास
गैरों के बात क्या करें
यहाँ अपने भी नहीं रंग बदल देते है
करने को ज़लील बिच समाज
बिन दहेज़ बेटियो की विवाह स्वीकार नहीं
नहीं दें पायी तो लगाली गले जलते आग
जाने कब तक चलेगी इस दुनिया मे
मासूमों के ज़िन्दगी पर ऐसे ही अत्याचार 
ब्यापार बनी है बच्चों की पढ़ाई
भरने लगे तिज़ोरी लोग डोनेशन के नाम
बिकने लगे है रिश्ते भी जैसे बाज़ारो मे
अपने ही पीछे पढ़ जाते है लेनेको अपनों की ही जान
जहाँ देखो वहाँ पैर पसारे बेईमानी
धोखा उसीने दी जिसपे दिल से करते है विश्वास
खुदगर्ज़ी के नशा चढ़ा इस तरह की
खुद के स्वार्थ मे सामने वाले की 
उछाल दी इज़्ज़त भरे बाज़ार
सोच कर भी दिल दहल है जाता
कैसे कर लेते है लोग ऐसी भ्रष्टाचार
की अपने आनबान और शान के खातिर
गला घोंट देते है ऊन बच्चों को भी
जिसने अभी देखा तक नहीं होता ये संसार
क्या कभी ये दुनिया बदलेगा भी
अब तो हो अच्छाई की जीत
कब होगा भ्रष्टाचार की हार
कब खिलेगी धरा हर इंसान की मुस्कान से
कब होगा सबके दिल मे एक जैसे ही
सबके लिए एक सम्मान प्यार….!!
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नैना…. ✍️✍️
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