पर्यावरण संरक्षण आम तौर पर पेड़ों और हरियाली के संरक्षण को दर्शाता है लेकिन व्यापक अर्थों में इसका तात्पर्य पेड़ों, पौधों, पशुओं, पक्षियों और पूरे ग्रह की सुरक्षा से है। वास्तव में पर्यावरण और जीवन के बीच एक अनूठा संबंध है। पर्यावरण संरक्षण मानव जाति के भविष्य और अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है।
हम अगर हमारे चारों और देखें तो ईश्वर की बनाई इस अद्भुत सर्जना में पर्यावरण की सुंदरता देख कर मन प्रफुल्लित हो जाता है। पर्यावरण की गोद में सुंदर फूल, लताएं , हरे-भरे वृक्षों, प्यारे – प्यारे चहचहाते पक्षी है, जो आकर्षण का केंद्र बिंदु है आज मानव ने अपनी जिज्ञासा और नई नई खोज की अभिलाषा में पर्यावरण के सहज कार्यो में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है जिसके कारन हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है हम हमारे दोस्तों परिवारों का तो बहुत ख्याल रखते हैं परंतु जब पर्यावरण की बात आती है तो हम हम विशेष अवसरों और दिवसों की राह टोहते हैं जबकि ऐसा कदापि नहीं होना चाहिए। 
बस गांधी जयंती, या फिर स्वच्छ भारत अभियान, के समय ही पर्यावरण का ख्याल आता है लेकिन यदि हम हमारे पर्यावरण   और पृथ्वी के बारे में निरन्तर चिंतन शील रहते हुए सक्रिय होंगे तभी इस भयंकरता से बढ़ते हुए प्रदूषण से बच सकते हैं।
आज पर्यावरणीय गिरावट और जलवायु परिवर्तन ने संपूर्ण मानव जाति को प्रभावित किया है। इस समस्या को दूर करने के लिए पूरी दुनिया को एक होना चाहिए। लेकिन गरीब देशों, जो मुख्य रूप से अपने अस्तित्व के लिए प्राकृतिक वातावरण पर निर्भर हैं, को पर्यावरणीय चिंताओं से निपटने के लिए विकसित देशों से मदद की आवश्यकता है।
पर्यावरण संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि मनुष्य, जीवन के लिए प्रकृति पर निर्भर है। ऐसी कई छोटी-छोटी चीजें हैं जिन्हें आप पर्यावरण पर असर को कम करने के लिए अपने दैनिक उपयोग में ला सकते हैं।  
     पर्यावरण संरक्षण मानव जीवन के लिए आवश्यक हैं। मानव भी एक प्रकार का प्राकृतिक सजीव उत्पाद हैं। इस मानव के जिंदगी को संचालित रहने के लिए सारी आवश्यक चीजें प्राकृतिक में विद्यमान हैं। मानव प्रकृति पर ज्यादा आश्रित हैं। इसलिए पर्यावरण संरक्षण आवश्यक हैं। प्राचीन काल में मानव अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति प्राकृतिक चीजों द्वारा ही करता था। परन्तु तब आज की तरह प्रदूषण जैसी समस्या उत्पन्न नहीं हुई थी। क्योंकि प्रकृति स्वयं मानव जनित कमी को पूरा करने में सक्षम थी। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करने के कारण आज पर्यावरण प्रदूषण की गम्भीर समस्या उत्पन्न हो गई हैं। 
     इस समस्या से निजात पाने के लिए यद्यपि सरकार कई अधिनियम बनाये हैं और इन अधिनियमों के अन्तर्गत लगभग 200 तरह के कानून व नियम बनाये हैं, तदपि पर्यावरण संरक्षण सामूहिक सहयोग और प्रयासों से ही संभव हो सकता हैं। आज की वर्तमान स्थिति में बढ़ती जनसंख्या, विलासितापूर्ण संस्कृति, प्राकृतिक संसाधनों का अति दोहन, आण्विक युद्ध, परमाणु परीक्षण, औद्योगिकीकरण, शहरी चकाचौंध द्वारा उत्पन्न समस्याओं को रोकना मानव जाति का सामूहिक व प्रमुख मुद्दा होना चाहिए जिससे मानव जाति अपने पीछे से अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित पर्यावरण स्वाभाविक रूप प्रदान कर सकें। मानव जाति के स्वस्थ जीवन शैली के लिए पर्यावरणीय परिस्थितिकी तंत्र (Eco-system) को प्रदूषण रहित बनाये रखना  हम सबका प्रथम और अहम दायित्व हैं।
       लेखिका –
               सुषमा श्रीवास्तव 
               उत्तराखण्ड।
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