पच्चीस दिसंबर १८६१ को जन्में,
नाम मदन मोहन मालवीय था।
शिक्षा के क्षेत्र में रहा इनका योगदान।
सीधा सादा जीवन रहा विचार बेहतरीन।
हिंदी के उत्थन में रहा सदैव प्रयत्न।
शलिनता विनम्रता उदारचित महान।
शिक्षाविद, पत्रकार, संपादक समाज सुधारक वकील कुशल वक्ता आदि सब गुणों की खान।
पच्चीस दिसंबर का महीना रहा बड़ा खास जिसे मना रहे सब जन।
असफल कार्य को भी सफल बनाया,
जो था असभव तुम बिन।
ऐसे वीर सपूत पर गर्व करता सारा हिन्दुस्तान।
ऐसे वीर सपूत थे भारत माता के संतान।
काशी विश्वविद्यालय की स्थापना युवाओं के लिए रहा एक वरदान।
शिक्षा का सबको मिला फिर दान।
भारतीय के लिए रहे एक प्रेरणास्रोत।
खुद की बनाई एक अलग पहचान।
देश वासियों के लिए थे उनकी जान।
हम सबको है तुम पै अब अभिमान।
कैसे न करें जनता अब तुम्हारा ही गुणगान।
है तुम्हारा चरित्र ऐसा महान।
हम सब करते हैं तुम्हारा ही बखान।
कभी भी न भुलेंगे हम सब तुम्हारा ये एहसान।
ऐसे वीर सपूत को गुड़िया का शत शत है नमन।।
स्वरचित अप्रकाशित मौलिक
कुमारी गुड़िया गौतम जलगांव महाराष्ट्र
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