यूं पायल बजे छम छम, छम छम
कंगना खनके खन खन, खन खन।
बिंदिया चमके चम चम, चम चम
रे मनवा डोले ढम ढम, ढम ढम।।
गोरी कहे चल सजन चल चल,
जेवर खरीद है मौसम मौसम,,
अईया पहनेंगे हम हम, हम हम।
पायल बजे छम छम……….
सजन के निकले दम दम दम दम,
बोले थोड़ा कर रहम तू सनम,,
देख आँखें हैं नम नम, नम नम।
पायल बजे छम छम…………
स्वरचित एवं मौलिक कृति द्वारा :-
संतोष कुमार ‘अजूबा’,
नरकटियागंज, पश्चमी चम्पारण, बिहार।
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