ये अख़बार की सुर्खियां
कहाँ शोख होती है,
राजनीति के दांव -पेंचों
से हमेशा भरी होती है
ना ही ये मदहोश
करती है
खबरें अपराधों की तो
होश ही ले उड़ती है
मासूमियत कभी इनमें
नज़र नहीं आती
खौफनाक चेहरों की छवि
से रंगी होती है
अदाओं में नज़ाकत नहीं
षड़यंत्रो की बू से
घिरी होती है
खूबसूरत लफ्जों
में बयां कहाँ
शब्दों का विचित्र संसार लिये
सामने रोज़ खड़ी रहती है।
…शैली भागवत ‘आस’✍️