नववर्ष में कुछ ऐसा ही हो।                                       हर दिल का ख्वाब साकार हो।।
यह मेरी दुहा है, यह मेरी है विनती।
और साया खुदा का सबके साथ हो ।।
नववर्ष में कुछ——————–।।
हम खाये कसम और करें यह वादा।
गलत राह पर हम चलेंगे नहीं।।
किसी के मन को लगे चोट हमसे।
कभी काम ऐसा करेंगे नहीं।।
यह मेरी दुहा है, यह मेरी है विनती।
यही ख्वाब हर आदमी का हो।।
नववर्ष में कुछ——————-।।
हम भूले नहीं जश्न में यह जमीं।
नहीं खोये होश , जश्न के जोश में ।।
ना बर्बाद हो घर किसी का हमसे।
यहाँ सबकी हो उन्नति, अपनी सोच में।।
यह मेरी दुहा है , यह मेरी है विनती।
नकली चेहरों से हटते नकाब हो।।
नववर्ष में कुछ——————–।।
ऐसी हो तस्वीर अपने वतन की ।
नहीं कोई भूखा , बेरोजगार हो।।
मिटे इस वतन में गरीबी का दाग।
हर घर में खुशियां आबाद हो।।
यह मेरी दुहा है, यह मेरी है विनती।
हमेशा चमन अपना गुलजार हो।।
नववर्ष में कुछ———————।।
रचनाकार एवं लेखक- 
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
ग्राम- ठूँसरा, पोस्ट- गजनपुरा
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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