मिले हैं ऐसे भी चेहरे, मुझको जिंदगी के सफर में।
बदलती जिनकी मुहब्बत, हर नये शहर में।।
देखा है मेरी निगाहों ने, उनके रंगीन मिजाज को।
मासूम गुलों से खेलते, उनको हर उम्र में ।।
मिले हैं ऐसे भी चेहरे—————।।
रहा हूँ मैं भी जमीं पर, कहीं ऐसी ही बस्ती में ।
जहाँ दीवानों को मदहोश , देखा गुलों की मस्ती में।।
गिला नहीं है जिनको , हुर्रों की जिंदगी लुटकर।
अपनी हस्ती को पवित्र , दिखाते हर नजर में ।।
मिले हैं ऐसे भी चेहरे —————–।।
हसीन फूल देखकर , कर लेते हैं मुहब्बत।
करके बदनाम कली को, हो जाते हैं रुखसत।।
शुबहा नहीं किसी को, इनकी दिलकश कलप पर।
बनकै माहताब चमकते हैं, जो हर महफ़िल में।।
मिले हैं ऐसे भी चेहरे—————।।
उम्रभर साथ निभाने का, कर लेते हैं इकरार।
खिलौना मानकै औरत का ,लूट लेते है करार।।
कोई अफसोस नहीं इनको, अपने नापाक कर्म पर।
बदलते हैं इनके नकाब, हर नयी शिरकत में ।।
मिले हैं ऐसे भी चेहरे————–।।
रचनाकार एवं लेखक- 
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
ग्राम- ठूँसरा, पोस्ट- गजनपुरा
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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