सदा व्यस्त रहो तन मन, बैठो कभी ना खाली काम
जो बने करो बन ज्ञानी, ज्ञान बढाए तुम
नारी मान
उस शास्त्र को कभी मत मानो, जो बढाए रुकी बेडी बंधन
घर घर जाकर जला ज्ञान दीप, इस मिले जीवन को बना दो चंदन
सहा जिन्होंने गोबर, कीचड़ पत्थरों का मार
उतारना चाहा समाज में पिछली सोच का भार
भारत की पहली शिक्षिका जो है कहलाती
कन्याओं की शिक्षा के लिए समाज से लड जाती
तोड़ डालो अज्ञान के बंधन, खोल डालो ज्ञान के द्वार
बढाओ बुद्धि प्रयोग वाद कर ,उस ज्ञान पर कर शोषित
इसी उद्देश्य को रख कर अपने जीवन में ,खोल डाले अट्ठारह कन्या स्कूल
नारी अध्यापक पहला मराठी, खिला डाले मुरझाते कन्या फूल
लोगों ने इन पर फेका कूड़ा, मार के पत्थर किया अपमान
अडिंग रहि शुभ संकल्प पथ पर, और रोके बढ चढ के बाल विवाह
गरीब असहाय से छुआछूत मिटाया,
बलात्कार,भ्रुण हत्या से मरती नारी
बना पडताडित महिला सरक्षिंत गृह,
भ्रुण बाल कन्या पर लोग लगाई
रंजना झा