भारत देश की प्रथम शिक्षिका,
प्रथम समाज सुधारक वह..
ठान लिया था उन्नीसवीं सदी में
कुछ कर के दिखलाना है,
खाली नहीं बैठना,
शिक्षा को अपनाना है।
ध्वस्त हुआ जो स्वाभिमान स्त्री का,
उसका उदय कराना है।
छुआछूत,बाल विवाह और
सती प्रथा का पतन करवाना है।
ठान लिया था सावित्रीबाई ने
अब बदलाव लाना हैं,
विधवा पुनर्विवाह को प्रारंभ किया,
स्त्री शिक्षा का आरम्भ किया
आये राह में कांटे कई
विद्रोह की अग्नि जली,
किन्तु सावित्री बाई अपने पग से,
ज़रा भी विचलित ना हुई
हमें भी उनके स्वप्न को आगे लेकर जाना है,
उनके बताये मार्ग पर चलकर
एक बदलाव लाना है।
यूँ ही खाली बैठकर
वक़्त ज़ाया नहीं करना है,
रूढ़िवादी सोच का अंत कर,
शिक्षा की उड़ान भरनी है।
शत शत नमन सावित्री बाई फुले ज़ी को
निकेता पाहुजा
रुद्रपुर उत्तराखंड