तुम मानो या ना मानो हम याद करते हैं तुमको, 
हर वो लम्हा  याद है जिसमें हो तुम, 
तुम मानो या न मानो, 
तेरे जाने के बाद मेरी सांसे भी छुट चुकी है, 
तु नही तो मैं भी नहीं रही महज एक लाश बन चुकी हू, 
धड़कन धडक तो रही है इस दिल में, 
पर अब भी कुछ रूका हुआ सा है , 
बिखर चुकी हू मैं टुटे हुए शीशे की तरह, 
समेटना भी चाहों तो न समेट पाओगे, 
कितनी दफा मांगा है टुटते हुए तारों से तुमको, 
न जाने कितनी रातों से मैं सोई नहीं, 
क्यु रूलाते हो इतना, आ जाओ मेरे पास, 
आज भी इंतजार मे बैठी हूँ , 
रिशता ही बना बैठी हुई तुमसे ऐसा, 
जाने के बाद भी आस लिए बैठी हूँ , 
लाख कर लो इनंकार तुम, 
पर करती हु मै खुद से ज्यादा तुमसे प्यार । 
तुम मानो या ना मानो।।
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