एक सपना जो होता है हर किसी की आँख में, 
एक उम्मीद कुछ अरमान हर आदमी में,
एक चाहत जिंदगी की हर किसी को।
एक छोटा सा घर जिसमें हो, 
सिर्फ शान्ति और प्यार का निवास,
एक चिराग जो करें रोशनी,
सत्य की राह बताने को।
करता है प्रार्थना हर आदमी,
अपने मंदिर में भगवान से,
चाहता है दो वक़्त की रोटी,
अपनी रक्षा और जिंदा अपना वजूद।
एक इज्जत भरी जिंदगी,
चाहे वह हो मुफ़लिस या धनवान,
बनाना चाहता है हर कोई,
अपना एक मुकाम और एक स्थान।
सवा अरब की आबादी वाली इस धरा पर,
आबाद हर कोई होना चाहता है, 
चाहे वह पुरूष हो या स्त्री,
गरीब हो या फिर अमीर ।
जिंदाबाद हर कोई होना चाहता है,
और जीना चाहता है हर कोई,
जी.आज़ाद बनकर यहाँ पर,
जी, आज़ाद इस मेरे भारत में।
 
रचनाकार एवं लेखक –
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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