आजकल हर कदम देखभाल कर रखिये।
लम्हा-लम्हा खुद को संम्भाल कर रखिये।।
क्या पता कौन किस घड़ी चाल चल जाये।
कुछ तरकीबें दिल मे निकाल कर रखिये।।
ज़हर उतारने के मंत्र भी जानना जरूरी है।
फिर आस्तीनों में सांप पाल कर रखिये ।।
वक़्त संगदिल है किस घड़ी बदल जाये।
हार-जीत का सिक्का उछाल कर रखिये।।
बेखबर होकर जमाने से जंग मत लड़ना।
‘अजीत’ ख़ास दांव जेब में डालकर रखिये।।
डॉ0 अजीत खरे