हर लेखक का सपना उसका अपना होता है  
हर घटना पर दृष्टिकोण भी अपना होता है  
वह क्या सोचे वह क्या चाहे  
हर कोई यह समझ ना पाय
 सिक्के के दो पहलू होते 
 पर लेखक ने कई दिखाएं  
उसकी आंखों पर तो अनोखा चश्मा होता है  
हर लेखक का सपना उसका अपना होता है 
 देश समाज विश्व में झांके 
 हर मिजाज को वह तो भांपें 
 चले लेखनी एक बार तो  
बड़े-बड़े ताकतवर काँपे 
 कोई वार करे उस पर तो  
कलम बने तलवार  
अलख जगाने का उसका रंग अपना होता है  
हर लेखक का सपना उसका अपना होता है 
   है इतिहास साक्षी अपना  
जब जब बड़ी हुई कोई घटना 
रौद्र  वीर श्रंगार रसों पे 
 कवियों ने की अद्भुत रचना 
 हर भावों का असर भी उनका अपना होता है  
हर लेखक का सपना उनका अपना होता है ।
             प्रीति मनीष दुबे
              मण्डला(म.प्र)
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