अपनी भावनाओ के धागों में,सब्दो के फूलो को पिरो कर एक लिखक जब कहानी रूपी हार बनाता है तो वह क्या चाहता है??बस यही तो,,,,की जब कोई पढ़ने वाला उस हार को धारण करे तो उन सब्दो का महक को समझे,,अपनी आंखों से उस एक एक सब्दो को समझते हुए,आपने दिमाग से पढ़ते हुए आपने दिल मे संभाले और उन सब्दो के फूल से उसका मन ह्रदय अंतरात्मा महक उठे,,।
एक लेखक और क्या चाहता है???
कल्पनाओ में भी आपना घर बना लेता है,एक लिखक जो दुःख में भी अपनी कल्पना सक्ति से खुशियां तलाश लेता है,एक लेखक जिसके दुख भी आपने साथी और खुशियां भी आपने साथी होते है,सब्दो के बाण से लगतार लोगो के ह्रदय में प्रबेस करना,उनके अंतरतम में एक नाम,एक पहचान, एक सोच बनकर जीवत रहना,,,,
एक लेखक का सपना और क्या होता है,,???
लेखक जिसका सपना होता है कि उसके लिखे कोई भी रचना कोई भी कहानी समाज को आईना दिखाएं समाज की कुर्तियों का नाश करें,, लोगो उस जीवन चरित्र को समझ पाए और समझ कर सदैव मुस्कुराते रहे,,क्यों कि किसी भी लेखक का कहानी का उछेस्य एक ही होता है, की कहानी चाहे जहां से भी सुरु हो,जैसा भी सुरु हो चाहे उसमे कितना भी दर्द हो संघर्ष हो,मगर अंत मे वह खुशियां और जीत देहि जाता है,,,
एक लेखक का सपना भी तो कुछ ऐसा ही होता है,,की इंसान अपने जीवन मे सारे दुख और संघर्ष को भुलाकर अपनी जीत और खुशियों का आदर सम्मान करें,,स्वगत करे,और जब उसे खुशियां किसी लेखक के किसी कहानी,,कबिता या उपन्यास से प्रेरित होकर मिले तो यह खुसी उस पाठक से कही ज्यादा उस लेखक के लिए होती है।।
एक लेखक वह होता है,जिसके  पास किसी भी सवाल का किसी भी समय का कल्पनिक स्तर पर ही सही मगर हल और जवाब जरूर होता है 
एक लेखक  अन्दर से कितना भी दुखी हो मगर वह पूरी महफ़िल को हंसा दे और पूरा महफ़िल जब हंस पड़ता है तो लेखक की लेखन कला का सपना पूर्ण होता है।।
लेखक वह नही जो सिर्फ लिखता जाए,,लेखक तो वह है जो लिखते समय सब्दो और भवनाओ में खुद को बांधता चाला जाए, और जब पढ़ने वाला उन रचनाओ को पढ़े तो वह भी उन सब्दो और भवनाओ में बंधता चाला जाए,,और उसे पढ़ कर समाज हर कदम पर जीते हुए मुस्कुराता चला जाए।।
लोगो का दर्द गमों को  भुला देना रोते चहेरे को हंसा देना अनन्या को समाज से मिटा देना लिख लिख कर सोते हुए को भी जगा देना,एक कायर को भी बहादुर बना देना और गदारो के सीने में भी देश भक्ति और कर्तब्यों को जगा देना यही तो एक लेखक का सपना होता है,जो खुद को कहानियों में पिरोकर दुसरो के लिए समाज के लिए लिखता ही जाए,,लिखता ही जाए,,यही तो तो एक लिखक का कर्तब्य है और सपना भी होता है,,……
…………,स्वरचित,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,🏵️🌸🏵️🌸🏵️प्रितम वर्मा
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