घर के काम धाम,बाहर की भी भाग दौड़ ,एक अकेली जान क्या क्या क्या करे ऊपर से थोड़ी घुमक्कड़ी भी ,पूरी तरह थक कर चूर थी ।रात को सोने गई तो निंदिया रानी के भी बड़े नखरे थे।
बड़ी मान मनौअल के बाद आईं तो आने लगे सपने पर सपने।
कुछ कुछ याद आया तो बता देती हूं । मैं बैठी थी अनमनी सी ,सहेलियों के बीच ।तभी एक का ध्यान मेरे उपर गया ,उसने और सभी को चुपके से इशारा किया और सभी हंस पड़ी।तभी मेरी तंद्रा टूटी,मैने कहा _क्या हुआ तुम लोग क्यों शांत हो गई और मुझे देख कर क्यों हंस रही हो।
उन्होंने कहा किसके ख्यालों में गुमसुम हो?
ओह,ये बात।
मैं तुमलोगों की बातों से कहानी निकालने की कोशिश कर रही।
आखिर मेरी कहानी तुमलोगों की चटपटी बातों से ही निकलेगी।सभी झेंप गई।
आखिर एक लेखक समाज का आईना ही तो जो उनके बीच ,आसपास के परिवेश से ही तो अपनी रचना को जन्म देता है।
सुबह मेरी नींद इन धुंधली सपनों की याद से खुली।मैने सोचा काश मैं एक लेखक होती फिर ध्यान आया अरे लेखक तो मोटे मोटे कांच के चश्मे पहने ,बिखरे लंबे बाल ,अस्त व्यस्त कपड़े ऐसे ही होते थे ,एक कमरे में खुद को बंद किए किरदार में इस हद तक खो जाते कि उन्हें रात दिन वही किरदार ही नजर आता था।
खुद को एक बार आइने में देखा ,छोटा मोटा ठीक ठाक तो आखिर मैं भी लिख लेती हूं।
मैं भी सहेलियों की चुगली से कहानी ,जेठानी देवरानी से कहानी ,सास बहू से कहानी ,दादी मां के जमाने की सुनी कहानियों से कहानी तो निकाल ही लेती हूं।
काश ऐसा होता
_मुझे अपने लेखन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले।
में समाज में अपने लेखन के माध्यम से सकारात्मक संदेश दे सकूं।
समाज में जाति के नाम पर जो बिखराव है ,कुरीतियां हैं,अंधविश्वास है उससे लोगों को बाहर निकाल सकूं।
घर में जो इज्जत घर वाले नहीं देते वे इज्जत दें और शान से किसी के सामने परिचय दें, उस दिन इस लेखक का सपना सच में सच होगा।
चेतावनी_
“ये मेरी कपोल कल्पना है,आप लोग इसे गंभीरता से न लें😃वरना आप सबको भी नींद में बहुत सपने आ सकते हैं।”